प्रयागराज, 21 सितम्बर 2021

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि की मौत के एक दिन बाद उनका सुसाइड नोट सामने आया है। सुसाइड नोट पर लिखी तारीख, काला और नीला दो रंग के पेन का इस्तेमाल, हर पेज पर शुरुआत में अपना परिचय देना, जैसी बातें कई सवाल खड़े कर रहे हैं। हर पेज पर किया गया हस्ताक्षर इसलिए भी सवाल खड़े कर रहा है क्योंकि कहीं महंत नरेंद्र गिरि लिखा है तो कहीं ‘म नरेंद्र गिरि’। फिलहाल आला अधिकारियों के निर्देश पर एसआईटी ने मामले की जांच शुरू कर दी है। जांच का मुख्य बिंदु सुसाइड नोट की लिखावट भी है।

आनंद गिरि के कारण कर रहा हूं आत्महत्या

सुसाइड नोट में लिखा है कि मैं महेंद्र गिरि, आज मेरा मन आनंद गिरि के चलते बहुत विचलित हो गया है। आनंद गिरि मुझे बदनाम करने की कोशिश कर रहा है। आज जब मुझे सूचना मिली है कि हरिद्वार से कम्प्यूटर के जरिए आनंद गिरि एक लड़की की फोटो लगाकर मेरा कोई वीडियो वायरल करने जा रहा है, तौ मैं सोच रहा हूं कि मैं कहां जाऊंगा, यदि ऐसा हो गया तो। किस किस को सच बताऊंगा। इसलिए ये कदम उठाने जा रहा हूं। मैं जिस पद पर हूं, यदि मेरा वीडियो वायरल हो गया तो मैं जिस समाज से जी रहा हूं, कैसे लोगों के सामने आऊंगा। इससे अच्छा, मेरा मर जाना है। इससे दुखी होकर मैं आत्महत्या करने जा रहा हूं।  इसकी पूरी जिम्मेदारी आनंद गिरी, अद्या प्रसाद तिवारी (लेटे हनुमान मंदिर के पुजारी) और उनके बेटे संदीप तिवारी की होगी। लिखा कि ये तीनों लोग उन्हें मानसिक तौर पर परेशान कर रहे थे। पुलिस अधिकारियों व प्रशासनिक अधिकारियों से प्रार्थना करता हूं कि इन तीनों के साथ कानूनी कार्रवाई की जाए जिससे मेरी आत्मा को शांति मिल सके। ये भी लिखा है गया कि 13 सितंबर को भी उन्होंने सुसाइड के लिए कदम उठाना चाह रहे थे, लेकिन हिम्मत नहीं जुटा पाए।

बलवीर गिरि को बनाया उत्तराधिकारी

सुसाइड नोट के साथ ही बाघंबरी गद्दी के उत्तराधिकारी का भी नाम सामने आ गया है। नरेंद्र गिरि ने स्पष्‍ट शब्दों में अपने उत्तराधिकारी के तौर पर बलवीर गिरि का नाम लिखा है। मेरी आखिरी ख़्वाहिश है कि जिस तरह से इस गद्दी पर रहते मैंने गरिमा का ख्याल रखा है। मैं चाहता हूं कि उसी तरह जो आगे जो नया व्यक्ति इस गद्दी को संभाले, उसका ख्याल रखे।

इसके साथ ही महंत नरेंद्र गिरि ने लिखा कि प्रिय बलवीर ‌गिरि मठ मंदिर की व्यवस्‍था का प्रयास करना, जिस तरह से मैं किया करता था। साथ ही उन्होंने अपने कुछ शिष्यों का ध्यान रखने की भी बात कही। इसके साथ उन्होंने महंत हरी गोविंद पुरी के लिए उन्होंने लिखा कि आप से निवेदन है कि मढ़ी का महंत बलवीर गिरि को ही बनाना। साथ ही महंत रविन्द्र पुरी जी के लिए उन्होंने लिखा कि आप ने हमेशा साथ दिया है, मेरे मरने के बाद भी मठ की गरिमा को बनाए रखना।