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पंजाब नेशनल बैंक स्कैम के बाद अब रोटोमैक कंपनी के मालिक पर भी बैंक का लोन ना चुकाने का आरोप है. सोमवार सुबह सीबीआई ने कंपनी के मालिक विक्रम कोठारी को कानपुर से हिरासत में ले लिया है. रविवार रात कोठारी के खिलाफ केस दर्ज हुआ था. इसके बाद सोमवार सुबह 4 बजे से ही सीबीआई की टीमों ने कानपुर में कोठारी के 3 ठिकानों पर छापेमारी शुरू कर दी. सीबीआई ने 800 करोड़ रुपए के लोन ना चुकाने के मामले में कानपुर में छापेमारी की है. ये छापेमारी बैंक ऑफ बड़ौदा की शिकायत पर की गई है.

इस मामले में सीबीआई की टीमों ने विक्रम कोठारी की पत्नी और बेटे से पूछताछ भी की है. कानपुर के तिलक नगर में विक्रम कोठारी के घर ‘संतुष्टि’, रोटोमैक ऑफिस और एक और ठिकाने पर सीबीआई की छापेमारी हुई है.

कोठारी बोले- मैं कानपुर में ही हूं

कानुपर की रोटोमैक कंपनी के मालिक विक्रम कोठारी पर बैंकों के 3000 करोड़ रुपए के लोन को ना लौटाने का आरोप है. लगातार इस प्रकार की बात कही जा रही थी कि नीरव मोदी की तरह विक्रम कोठारी भी देश छोड़ कर चले गए हैं. लेकिन उन्होंने इस बात का खंडन किया है. कोठारी ने कहा है कि वह देश छोड़कर नहीं गए हैं, और यहीं कानपुर में ही हैं.

कोठारी ने कहा कि मैंने बैंकों से लोन लिया है, ये गलत है कि अभी तक चुकता नहीं कर पा रहा हूं. मेरा बैंक का एलसी में केस चल रहा है, उसमें जल्द ही निष्कर्ष निकलेगा. उन्होंने कहा कि मैं अभी कानपुर से बाहर नहीं निकला हूं, ना ही कहीं जाऊंगा. मेरे भारत जैसा महान देश कोई नहीं है. उन्होंने कहा कि बिज़नेस डील की वजह से बाहर के देशों में आना जाना होता रहता है.

आपको बता दें कि कानपुर के व्यापारी विक्रम कोठारी पर आरोप है कि उनपर पांच राष्ट्रीय बैंकों की करीब 3000 करोड़ की देनदारी है और कोठारी ने इस उधारी का कोई भी पैसा नहीं वापस किया. इसके बावजूद ना सिर्फ कोठारी खुलेआम घूम रहे हैं बल्कि उनके बिजनेस भी बदस्तूर चल रहे हैं.

विक्रम कोठारी पर आरोप है कि इन्होंने बैंक के आला अधिकारियों के साथ मिली भगत करके अपनी संपत्तियों की कीमत ज्यादा दिखाकर उनपर करोड़ों का लोन लिया और फिर उन्हें चुकता करने से मुकर गए. विक्रम कोठारी रोटोमैक पेंस के मालिक हैं और कानपुर के पॉश तिलक नगर इलाके में आलीशान बंगले मे रहते हैं.

कई बैंकों को लगाई चपत

विक्रम कोठारी ने 2012 में अपनी कंपनी रोटोमैक के नाम पर सबसे पहले इलाहबाद बैंक से 375 करोड़ का लोन लिया था. इसके बाद यूनियन बैंक से 432 करोड़ का लोन लिया. इतना ही नहीं विक्रम कोठारी ने इंडियन ओवरसीज़ बैंक से 1400 करोड़, बैंक ऑफ इण्डिया से लगभग 1300 करोड़ और बैंक ऑफ बड़ौदा से 600 करोड़ रुपये का लोन लिया, लेकिन किसी बैंक का लोन चुकता नहीं किया.

आरोप है कि बैंक अधिकारियों की मिली भगत से विक्रम कोठारी बैंको का लगभग तीन हजार करोड़ रुपया दबा कर बैठ गए. उनकी रोटोमैक कम्पनी पर भी ताला लग गया. बैंकों ने विक्रम कोठारी के सभी लोन के सभी खातों को एनपीए घोषित कर दिया.