कार्लेस्टन: अमेरिका में रिपब्लिकन पार्टी की भारतवंशी नेता निक्की हेली ने 2024 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में अपनी दावेदारी के लिए बुधवार को औपचारिक रूप से अभियान की शुरुआत कर दी। इसके साथ ही, उन्होंने एक समय अपने नेता रहे एवं पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मुकाबले खुद को एक युवा और नये विकल्प के रूप में पेश किया है। हेली (51) दक्षिण कैरोलिना की दो बार गवर्नर रही हैं और संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत रह चुकी हैं।

निक्की लेही ने समर्थकों से क्या कहा?

दक्षिण कैरोलिना में एक कार्यक्रम के दौरान अपने उत्साहित समर्थकों को संबोधित करते हुए उन्होंने घोषणा की: “एक मजबूत अमेरिका के लिए … एक गौरवशाली अमेरिका के लिए … मैं संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल हो गई हूं।” उन्होंने कहा, “जब अमेरिका उतार-चढ़ाव से गुजरता है, तो दुनिया कम सुरक्षित हो जाती है … और आज, हमारे दुश्मन सोचते हैं कि अमेरिका का युग बीत चुका है। वे गलत हैं।”

हेली बोलीं- … तो 21वीं सदी की लड़ाई नहीं जीत पाएंगे

हेली ने कहा, “अगर हम 20वीं सदी के राजनेताओं पर भरोसा करते रहे तो हम 21वीं सदी की लड़ाई नहीं जीत पाएंगे। और इसलिए, मैं घोषणा करती हूं। मैं अप्रवासियों की बेटी के रूप में, एक लड़ाकू योद्धा की गौरवमयी पत्नी के रूप में और दो अद्भुत बच्चों की मां के रूप में आपके सामने खड़ी हूं।” उनकी इस औपचारिक घोषणा का यह मतलब है कि वह उम्मीदवारी हासिल करने के लिए ट्रंप (76) के खिलाफ प्रतिस्पर्धा में शामिल होने वाली पहली दावेदार होंगी। उल्लेखनीय है कि हेली और ट्रंप, दोनों रिपब्लिकन पार्टी से हैं।

हेली के सामने प्रेसीडेंशियल प्राइमरी बड़ी चुनौती

राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया में शामिल होने से पहले हेली को रिपब्लिकन पार्टी की ‘प्रेसीडेंशियल प्राइमरी’ में जीत हासिल करनी होगी, जो अगले साल जनवरी में होने का कार्यक्रम है। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव पांच नवंबर, 2024 को होना है। निक्की हेली उर्फ निमरत निक्की रंधावा का जन्म प्रवासी पंजाबी सिख परिवार में हुआ था। हेली अमेरिका के पिछले तीन राष्ट्रपति चुनाव में किस्मत आजमाने वाले भारतीय-अमेरिकी नेताओं में शामिल हो गई हैं। इससे पहले साल 2016 में बॉबी जिंदल और 2020 में उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने अपनी किस्मत आजमाई थी।

कौन हैं निक्की हेली

हेली का जन्म सिख माता-पिता अजीत सिंह रंधावा और राज कौर रंधावा के यहां हुआ था, जो 1960 के दशक में पंजाब से कनाडा गए और फिर अमेरिका आकर बस गए थे। जनवरी 2011 में 39 साल की उम्र में जब उन्होंने गर्वनर का पदभार ग्रहण किया, तब वह इस पद पर आसीन होने वाली अमेरिका की सबसे कम उम्र की गवर्नर थीं। उन्होंने दक्षिण कैरोलिना की पहली महिला गवर्नर बनकर इतिहास रचा। वह राज्य की पहली भारतीय-अमेरिकी गवर्नर भी थीं। जनवरी 2017 से दिसंबर 2018 तक, उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत के रूप में कार्य किया।