ब्रिटेन ने आरोप लगाया है कि चीन और रूस ने ‘स्वतंत्र और खुले इंटरनेट’ के लिए खतरा पैदा कर दिया है। इस समय पश्चिमी देश साइबर स्पेस (इंटरनेट) को संचालित करने की नियमावली तैयार करने की प्रक्रिया में है। इसी सिलसिले में  तैयार अपने दस्तावेज में ब्रिटेन ने अपने ‘विरोधी देशों’ की तरफ से पैदा किए जा रहे साइबर खतरों का जिक्र किया है। इसमें चेतावनी दी गई है कि साइबर युद्ध की बढ़ती क्षमताओं के साथ इंटरनेट पर ‘उसूलों का संघर्ष’ तेज हो जाएगा। ये दस्तावेज नेशनल साइबर सिक्युरिटी सेंटर (एनसीएससी) ने तैयार किया है। इसमें कहा गया है कि एक तरफ स्वतंत्र समाज वाले देश हैं, तो दूसरी तरफ चीन और रूस जैसे उनके प्रतिस्पर्धी उभर रहे हैँ। ये दोनों देश साइबरस्पेस पर सरकारी नियंत्रण को बढ़ा रहे हैं। इसलिए साइबर क्षेत्र में इन दोनों तरह की सोच वाले देशों के बीच संघर्ष की स्थिति बन रही है। दस्तावेज में कहा गया है- इस संघर्ष से ‘स्वतंत्र एवं खुले इंटरनेट’ पर दबाव बढ़ेगा।

विश्लेषकों का कहना है कि चीन सरकार के समर्थन से हो रही साइबर गतिविधियों से ब्रिटिश अधिकारियों की चिंताएं बढ़ती गई हैं। बताया जाता है कि ब्रिटेन ने हाल के वर्षों में चीन के साथ बातचीत के दौरान उसे भी अपनी ये चिंताएं बताई हैं। गौरतलब है कि इस वर्ष के आरंभ में पश्चिमी देशों ने चीन सरकार पर आरोप लगाया था कि वह ‘आपराधिक गिरोहों’ के साथ मिल कर साइबर हमले करवा रही है। अमेरिकी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट पर हुए एक साइबर हमले के लिए पश्चिमी अधिकारियों ने चीन को दोषी ठहराया था।  उधर अमेरिका और ब्रिटेन ने कई साइबर हमलों के लिए रूस को दोषी ठहराया है। आरोप है कि इन हमलों में पश्चिमी देशों के इन्फ्रास्ट्रक्चर, चुनाव प्रणाली और बौद्धिक संपदाओं को निशाना बनाया गया। जब पश्चिमी दवा कंपनियां कोविड-19 के वैक्सीन बना रही थीं, तब साइबर हमलों के जरिए उनका फॉर्मूला चुराने की कोशिश की गई।

ब्रिटिश अखबार फाइनेंशियल टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट में मुताबिक नया दस्तावेज ब्रिटेन के कैबिनेट ऑफिस मिनिस्टर स्टीव बार्कले की देखरेख में तैयार किया गया है। बताया गया है कि इस दस्तावेज का मकसद पूरे ब्रिटेन में साइबर विशेषज्ञता को विकसित करना है, ताकि ब्रिटेन आक्रामक और रक्षात्मक दोनों क्षमताएं हासिल कर सके।  ब्रिटिश सरकार ने अपना राष्ट्रीय साइबर कार्यक्रम तैयार करने पर 2.6 अरब पाउंड खर्च करने का फैसला किया है। ब्रिटिश सरकार चाहती है कि ब्रिटेन अगले तीन साल में अपनी सार्वजनिक सेवाओं को साइबर हमलों से बचाने में पूर्ण सक्षम हो जाए।

ब्रिटेन की खुफिया और सुरक्षा एजेंसी गर्वनमेंट कम्यूनिकेशन्स हेडक्वार्टर्स (जीसीएचक्यू) के निदेशक जेरेमी फ्लेमिंग ने फाइनेंशियल टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि ब्रिटेन ने साइबर सुरक्षा का मजबूत ढांचा तैयार किया है। नई रणनीति उसे और मजबूत करेगी। इस रणनीति में एक नेशनल साइबर फोर्स गठित करने का प्रस्ताव है। ये फोर्स ‘विरोधी देशों’ पर साइबर हमले कर उनके हथियार सिस्टम की हैकिंग करने में सक्षम होगा। अपराधी गिरोहों को निशाने बना सकने की क्षमता से भी इसे लैस किया जाएगा।