ravi shastri

पूर्व मुख्य चयनकर्ता संदीप पाटिल भले ही भारतीय टीम में जगह बनाने के लिए यो-यो टेस्ट को बेंचमार्क माने जाने के कड़े आलोचक हों, लेकिन मुख्य कोच रवि शास्त्री और कप्तान विराट कोहली ने अपना पक्ष स्पष्ट करते हुए कहा – आप टेस्ट पास कीजिए और भारत के लिये खेलिए.

शास्त्री ने स्पष्ट किया कि यो-यो टेस्ट बरकरार रहेगा और कोहली ने भी कहा कि इसे भावुक होने के बजाय ‘कड़े फैसले’ के रूप में देखा जाना चाहिए, जिससे टीम को फायदा ही मिलेगा.

हाल में आईपीएल के शीर्ष स्कोरर में शामिल अंबति रायडू 16.1 अंक जुटाने में असफल रहे थे, जबकि उन्होंने आईपीएल में 600 से ज्यादा रन जुटाए थे. इससे पूर्व चयन समिति के अध्यक्ष पाटिल ने इस नीतिगत फैसले पर खुले आम सवाल उठाए थे.

जब शास्त्री से टीम की ब्रिटेन दौरे के लिए रवानगी से पहले मीडिया से मुखातिब सत्र में पूछा गया कि तो वह अपने जवाब में बिलकुल स्पष्ट थे. शास्त्री ने चिर परिचित अंदाज में कहा , ‘आप के अंदर कुछ निश्चित काबिलियत है, लेकिन अगर आप फिट हो तो आप इसमें निखार ला सकते हो. इसलिए हम यो-यो टेस्ट पर जोर देते हैं. अगर किसी को लगता है कि यह बहुत ज्यादा गंभीर नहीं है, तो यह उनकी भूल है. वह जा सकते हैं.’

साथ ही कोहली ने भी उदाहरण दिया कि यो-यो टेस्ट जसप्रीत बुमराह जैसे तेज गेंदबाज के दमखम और सहनशक्ति को दर्शाने का सबूत है. कोहली ने कहा, ‘लोग शायद एक छोटी-सी चीज नहीं देख पाते जो एक विशेष टेस्ट मैच के दौरान हुई थी, लेकिन मुझे लगता है कि इससे काफी अंतर पैदा होता है.’

उन्होंने कहा , ‘जसप्रीत बुमराह अंतिम टेस्ट के दौरान अपने आखिरी स्पेल में 144 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गेंदबाजी कर रहे थे. और यहीं फिटनेस की असली परीक्षा होती है. जब आपके पास ऐसे लोग होते हैं जो फिट हैं, अच्छे प्रदर्शन के भूखे हैं और तैयार हैं, तो आप सिर्फ प्रतिस्पर्धा नहीं करते, बल्कि आप मैचों में जीत हासिल करते हो.’

भारतीय टीम ने फिटनेस टेस्ट पास करने के लिए यो-यो टेस्ट को पैमाना बनाया है, जो खिलाड़ी के दमखम और फिटनेस का विश्लेषण करता है. भारत की सीनियर और ए टीम के लिए मौजूदा मानक 16.1 है.

आखिर क्या है यो-यो टेस्ट..?

अब जरा ‘यो-यो’ परीक्षण को भी समझ लें. कई ‘कोन’ की मदद से 20 मीटर की दूरी पर दो पंक्तियां बनाई जाती हैं. एक खिलाड़ी रेखा के पीछे अपना पांव रखकर शुरुआत करता है और निर्देश मिलते ही दौड़ना शुरू करता है. खिलाड़ी लगातार दो लाइनों के बीच दौड़ता है और जब बीप बजती है, तो उसे मुड़ना होता है.

हर एक मिनट या इसी तरह से तेजी बढ़ती जाती है. अगर समय पर रेखा तक नहीं पहुंचे तो दो और ‘बीप’ के अंतर्गत तेजी पकड़नी पड़ती है. अगर खिलाड़ी दो छोरों पर तेजी हासिल नहीं कर पाता है तो परीक्षण रोक दिया जाता है. यह पूरी प्रक्रिया सॉफ्टवेयर पर आधारित है, जिसमें नतीजे रिकॉर्ड किए जाते हैं.