कानपुर,कौन कहता है कि छोटी उम्र में कोई कुछ बड़ा हासिल नहीं कर सकता, कौन कहता है कि छोटी उम्र में बुलंदियों तक नहीं पहुंचा जा सकता…अगर ऐसा किसी को लगता है तो ये सिवाय भ्रम के और कुछ भी नहीं क्योंकि कुपवाड़ा हमले में शहीद देश का वीर सपूत तो चला गया लेकिन जाते जाते जज्बे की जो मिसाल छोड़ गया वो अपने आपमें हमेशा के लिए अविस्मरणीय रहेगी, मिसाल ऐसी कि मानो कानपुर शहर से लेकर करोड़ों देशवासियों के दिल में अपने लिए प्यार और उनकी आँखों में आंसू…वीर शहीद आयुष की शहादत की दास्ताँ हमेशा हमेशा के लिए याद रहेगी और याद रहेगा उसका यूँ देश के लिए कुर्बान हो जाना।

छोटे उम्र से देश के लिए कुछ कर गुजर जाने की थी ललक

परिवार वालों और मोहल्ले वालों का कहना है कि आयुष छोटे से ही कुछ ऐसा करना चाहता था कि जिससे वो देश के लिये कुछ कर सके अपनी इसी राह पर आगे चलते हुए उसने सीडीएस एग्जाम पास करने के बाद अपने उस मुकाम को हासिल किया और देश की रक्षा का बीड़ा उठाते हुए तैनाती पर चला गया।

चंद महीनों पहले बहन की शादी ही बन गई आखिरी मुलाकात

शायद परिवार वालों और खुद आयुष को भी इस बात का इल्म न था कि प्यारी बहना की शादी के इस खुशनुमा मौके पर हुई ये मुलाकात ही उसकी और उसके सभी सम्बन्धियों की आखिरी मुलाकात में तब्दील हो जायेगी लेकिन जब मुकद्दर में कुछ ऐसा लिखा हो तो भला इसे रोक भी कौन सकता था।

दोस्तों का दोस्त और यारों का यार था शहीद आयुष

दोस्तों और पड़ोसियों की मानें तो आयुष ने आज तक कभी किसी का दिल नहीं दुखाया । वो सभी के लिए तत्पर रहता और किसी भी काम में लगनशील था।छोटे से ही जब आयुष से कोई ये पूछता कि आगे बड़े होकर क्या बनोगे तो उसके मुंह से बिना रुके बस यही बात निकलती थी कि सेना में भर्ती होकर दुश्मनों का सफाया करना है, बचपन से ही बंदूकों का शौक़ रखने वाले आयुष को उसके सभी दोस्त मेजर कहकर पुकारते थे।

यादगार बनी अंतिम विदाई

कल 4:40 पर शहीद आयुष का पार्थिव शरीर दिल्ली से विमान के जरिये चकेरी एयरपोर्ट लाया जा चुका था।जिसे कैंट स्थित सेवेन एयरफोर्स हॉस्पिटल में रखा गया था। अलसुबह पूरे सम्मान के साथ शहीद आयुष का पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए डिफेंस कॉलोनी स्थित निवास पर लाया गया। जिसके बाद संस्कार के लिए अंतिम यात्रा के दौरान लोगों का भारी हुजूम उमड़ पड़ा हर तरफ से बस एक सुर में आवाज आ रही थी… ‘आयुष तेरा ये बलिदान याद करेगा हिंदुस्तान, वंदे मातरम, शहीद आयुष अमर रहें’ गूंजते नारों की आवाज से पूरा माहौल ग़मगीन हो चला था। सभी की आँखों में आंसू…वो इसलिए क्योंकि आज उनका लाडला आयुष जो उन्हें छोड़ चला था, मगर जाते जाते जो मिसाल पेश कर गया उसे सदियों से भी ज्यादा समय तक याद किया जाता रहेगा।