maa brahamcharni
नवरात्रि के दूसरे दिन होती है मां ब्रह्मचारिणी की पूजा। ब्रह्म का अर्थ है तपस्या व चारिणी का अर्थ है आचरण करने वाली देवी। मां के हाथों अक्ष माला और कमंडल होता है। मां ब्रह्मचारिणी के पूजन से ज्ञान सदाचार लगन, एकाग्रता और संयम रखने की शक्ति प्राप्त होती है और व्यक्ति अपने कर्तव्य पथ से भटकता नहीं है। मां ब्रह्मचारिणी की भक्ति से प्राप्त होता है लंबी आयु का वरदान।

पूजा विधि:

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा में मां को फूल, अक्षत, रोली, चंदन आदि अर्पण करें। उन्हें दूध, दही, घृत, मधु व शर्करा से स्नान कराएं और इसके देवी को पिस्ते से बनी मिठाई का भोग लगाएं। इसके बाद पान, सुपारी, लौंग अर्पित करें। कहा जाता है कि मां पूजा करने वाले भक्त जीवन में सदा शांत चित्त और प्रसन्न रहते हैं। उन्हें किसी प्रकार का भय नहीं सताता।

मां ब्रह्मचारिणी का मंत्र:

या देवी सर्वभेतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। दधाना कर मद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू। देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।

मनोकामना:

जो व्यक्ति भक्ति भाव एवं श्रद्धा से दुर्गा पूजा के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करते हैं उन्हें सुख, आरोग्य की प्राप्ति होती है और प्रसन्न रहता है, उसे किसी प्रकार का भय नहीं सताता है। सर्वत्र सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती है, तथा जीवन की अनेक समस्याओं एवं परेशानियों का नाश होता है।

Acharya Bhanu SHarma
आचार्य भानू शर्मा

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