असम, 30 मार्च 2021

अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुष्मिता देव को इस वक्त असम की बराक वैली में पार्टी का एक लोकप्रिय चेहरा माना जाता है। लेकिन, जानकारी के मुताबिक पिछले महीने वो बदरुद्दीन अजमल के एआईयूडीएफ के साथ सीटों के बंटवारे और उम्मीदवारों के चयन को लेकर काफी नाराज हो गई थीं। चर्चा है कि वो गुवाहाटी में पार्टी की एक अहम बैठक से इसी वजह से नाराज होकर चली आई थीं। लेकिन, बाद में उन्होंने पार्टी के फैसले के साथ रहने में ही भलाई समझी। अब उन्होंने बताया है कि आखिर उनकी इतनी ज्यादा नाराजगी की वजह क्या थी और उनकी पार्टी सत्ताधारी बीजेपी को असम विधानसभा चुनाव में कैसे शिकस्त देगी।

अजमल पर कांग्रेस के फैसले के बचाव में सुष्मिता देव

सुष्मिता देव सात बार के सांसद रहे असम के कद्दावर नेता संतोष मोहन देव की बेटी हैं। उन्हें असम की बराक वैली के बांग्ला-भाषी लोगों के बीच पार्टी का एक लोकप्रिय चेहरा माना जाता है। उस इलाके में 1 अप्रैल को चुनाव होना है। वो पहले बराक वैली की ही सिलचर सीट से संसद में कांग्रेस का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के राजदीप रॉय ने उन्हें हरा दिया था। अब उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में असम की मौजूदा चुनावी परिस्थियों से लेकर अपनी नाराजगी तक की बातों पर खुलकर बात की है। उन्होंने बदरुद्दीन अजमल के एआईयूडीएफ के साथ गठबंधन को लेकर कांग्रेस की आलोचनाओं पर पार्टी का खुलकर बचाव किया है। उनका आरोप है कि ‘यदि कोई पार्टी खुलकर सांप्रदायिक है तो वह बीजेपी है। बीजेपी इसीलिए इसे बड़ा मुद्दा बना रही है क्योंकि उसके पास असल मुद्दों पर कोई जवाब नहीं है।’

रोजगार कांग्रेस का सबसे बड़ा एजेंडा- देव

सुष्मिता देव के मुताबिक बराक वैली में रोजगार ही सबसे बड़ा मुद्दा है। उन्होंने कहा है कि ‘मैं जहां भी गई (असम बचाओ यात्रा के दौरान), मुझे बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा देखने को मिला। इससे कोई मतलब नहीं है कि उम्र क्या थी, माता-पिता शिकायत कर रहे थे, दादा-दादी की भी शिकायतें थीं, और युवाओं की तो थी ही। और इस चुनाव में हमारा यही सबसे बड़ा एजेंडा है।’ उन्होंने सीएए पर भी भाजपा को घेरा और कहा कि वो हमेशा से कहती रही हैं कि भारत में लोगों को कभी भी देशविहीन नहीं किया जा सकता। बीजेपी ने जो समाधान खोजा है, वह पूरा नहीं है। उन्होंने कहा है कि, ‘लेकिन, अब जो हालात पैदा हुए हैं, कैसे बीजेपी ने सीएए पर बोलना बंद कर दिया है, किस तरह से नियम नहीं बनाए गए हैं…..लोगों को पता चल चुका है कि यह कानून एक टूल है। वोट-बैंक का एक टूल ।’

ध्रुवीकरण सिर्फ बीजेपी का एक टूल था-कांग्रेस

जब उनसे पूछा गया कि बीजेपी की ध्रुवीकरण की कोशिश तो बराक वैली में आपको और नुकसान पहुंचाएगी, 2024 में आप यहां से कैसे लड़ेंगी? वो बोलीं, ‘काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती और लोग इस समझ चुके हैं। ध्रुवीकरण सिर्फ बीजेपी का एक टूल था, जो अब बेकार हो चुका है। नौकरी और बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा है और इसी तरह बीजेपी की ओर से किया गया भ्रष्टाचार भी। बराक वैली में उनके सभी उम्मीदवार ‘सिंडिकेट किंग’ (कांग्रेस आरोप लगाती है कि बराक वैली का कछार म्यांमार से होने वाले गैरकानूनी व्यापार का अड्डा है जिसे कथित तौर पर भाजपा के लोग चलाते हैं ) के हैं। सभी हिमंत बिस्व सरमा के सिंडिकेट में शामिल हैं। और बराक वैली के लोग उन्हें नकार चुके हैं।’

आलाकमान के सामने क्यों किया सरेंडर ?

जब उनसे ये पूछा गया कि अफवाहें थीं कि वो बराक वैली में सीटों के बंटवारे के मुद्दे पर कांग्रेस छोड़ने वाली थीं तो उन्होंने कहा, ‘कुछ नहीं हुआ था। अगर आपको अपनी कर्मभूमि से समझौता करना पड़े, जहां आप काम करते हैं, अपनी जमीन से……अगर आपको समझौता करना पड़े और उसे दूसरों को देनी पड़े, तो आपको तकलीफ होगी। इसीलिए मुझे भी तकलीफ हुई। लेकिन, मैं हमेशा हाई कमांड के सामने झुकी हूं और इसबार भी वही किया है। अगर मैं अपने इलाके के लिए नहीं लड़ूंगी तो कौन लड़ेगा?’ लेकिन, अपने इस्तीफे के बारे में खबरों को लेकर उन्होंने कहा कि ‘ऐसा कभी नहीं हुआ था। टीवी चैनलों ने चलाया था। मैंने कभी इस्तीफा नहीं दिया था।'(तस्वीरें सौजन्य- सुष्मिता देव के ट्विटर हैंडल से)