Basic SHiksha Adhikari, Fake Recruitment, Setting n Getting Game, Pravin Mani Tripathi

रिपोर्टर सुरेश सविता की रिपोर्ट 

कानपुर, “देखिए ज़नाब! आप कुछ भी कर लीजिए, किसी से भी शिकायत करिए, मेरा कुछ बिगाड़ नहीं पाएंगे। ” ये कहना है उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के बेसिक शिक्षा विभाग के एक दबंग बाबू अनिल द्विवेदी का।
उत्तर प्रदेश के 6 सर्वाधिक भ्रष्ट विभागों में से एक शिक्षा विभाग के इस बाबू की पोस्टिंग अभी कानपुर में है।

मामला कुछ इस प्रकार है – सोशल एक्टिविस्ट विनय वर्मा द्वारा प्राप्त दस्तावेजो में साफतौर पर देखा जा सकता है कि अनिल द्विवेदी की नियुक्ति बतौर कंप्यूटर ऑपरेटर, उसकी सास (पत्नी की माँ) शशि द्विवेदी, जो उस वक़्त उन्नाव में ही बेसिक शिक्षा अधिकारी के पद पर थीं, उनके द्वारा अपने दामाद की उन्नाव जिले में ही 1996 में नियुक्ति की गयी थी।vinay भर्ती के विज्ञापन से जॉइनिंग लेटर भेजने की प्रक्रिया महज 9 से 10 दिन में पूरी हो जाना ही अपने आप में इस नियुक्ति पर प्रश्न चिन्ह लगाता है। विभाग के नियमानुसार कोई भी अधिकारी/कर्मचारी द्वारा अपने परिजन या सगे संबंधियों की नियुक्ति नही की जा सकती तो सास ने अपने दामाद की नियुक्ति कैसे की ? जब इस बाबत विभाग के अधिकारियों से शिकायत की गयी, तो जांच अधिकारियों ने जो रिपोर्ट दी वो भी अपने आप में हास्यप्रद है, उन्होंने रिपोर्ट में दिखाया कि इस नियुक्ति में गलती सास की है जो उस वक़्त उन्नाव की ही बेसिक शिक्षा अधिकारी के पद पर थीं। लेकिन उनके दामाद अनिल द्विवेदी की इसमें कोई गलती नहीं मतलब वो नौकरी में यथास्थित बने रहेंगे।

नियुक्ति के संबंध में प्रकाशित विज्ञापन में कंप्यूटर ऑपरेटर के पद के लिए शैक्षिक योग्यता बी.एड, बी.टी.सी की मांग भी अपने आप सवालिया निशान खड़े करती है। नियुक्ति से मात्र 1 माह पूर्व का कंप्यूटर का 5 महीने का डिप्लोमा भी फ़र्ज़ी नियुक्ति के शक को पुख्ता करता है।

अमर उजाला जैसे प्रतिष्ठित समाचार पत्र में विज्ञापन प्रकाशित होने के बावजूद कंप्यूटर ऑपरेटर की भर्ती के इंटरव्यू के लिए मात्र 3 लोगों का आवेदन करना और उनमें से अनिल द्विवेदी का चयन हो जाना भी इस भर्ती पर सवाल खड़ा करता है, जबकि नियमानुसार इंटरव्यू में कम से कम 5 अभ्यर्थियों का होना आवश्यक था। अगर 5 लोगों ने आवेदन नहीं किया था तो विज्ञापन पुनः प्रकाशित क्यों नही किया गया या और अभ्यर्थियों की प्रतीक्षा क्यों नहीं की गयी ? जबकि आनन फानन में महज 9 से 10 दिनों में अनिल का इंटरव्यू और उसका ज्वाइनिंग लेटर भी उसके घर भेज दिया गया।

गलत तरह हुई इस नियुक्ति के बारे में जब खबरें24 के रिपोर्टर ने वर्तमान में कानपुर के बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रवीण मणि त्रिपाठी को अवगत कराया तो उन्होंने साफ तौर पर बताया कि उनके इस विभाग में कंप्यूटर ऑपरेटर का कोई पद ही नहीं होता है। अगर जरूरत होती भी है तो शासन आदेश से संविदा पर कुछ समय के लिए इस पद पर नियुक्ति की जा सकती है, लेकिन उक्त अनिल द्विवेदी की नियुक्ति के लिए ऐसा कोई शासनादेश ही नहीं दिया गया और इस पद के लिए बी एड, बी टी सी की अहर्ता बिल्कुल गलत है।