Modi and shinzo abe

चीन को भारत जापान की दोस्ती रास नहीं आ रही है। उसे डर लग रहा है कि इससे भारत से उसके बॉर्डर विवाद में भी दखलअंदाजी हो सकती है। चीन ने स्टेटमेंट जारी कर कहा है कि वह अरुणाचल में किसी भी तीसरी पार्टी के दखल का विरोध जरूर करेगा।

आपको बता दें कि जापान के पीएम शिंजो आबे के दौरे के दौरान भारत के साथ नॉर्थ ईस्ट इंडिया में भी इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के निर्माणों पर समझौते हुए हैं। शिंजो आबे और पीएम मोदी ने मिलकर गुरुवार को इंडिया जापान एक्ट ईस्ट फोरम को गठन करने की घोषणा की है। यह फोरम नॉर्थ ईस्ट इंडिया में इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के निर्माण पर काम करेगी। इन इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में रोड निर्माण, इलेक्ट्रसिटी और वॉटर सप्लाई जैसे प्रोजेक्ट सम्मिलित हैं।

चीन अरुणाचल प्रदेश के 90 हजार स्कवायर किमी के इलाके को अपना बताता है। यही वजह है कि चीन ने भले सीधे अरुणाचल का नाम नहीं लिया, मगर कहा है कि वह इस इलाके में किसी भी थर्ड पार्टी की दखलअंदाजी को बर्दाश्त नहीं करेगा। इससे यह कहा जा सकता है कि चीन भारत और जापान के इन साझा प्रोजेक्ट के खिलाफ है।

चीन विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा कि, ‘हम साफ कह देना चाहेंगे कि भारत और चीन की बॉर्डर सीमा पूरी तरह से तय नहीं हुई है और ईस्ट सेक्शन विवादित है। हम बातचीत के जरिए हल निकालने का प्रयास कर रहे हैं, जो दोनों पार्टी को स्वीकार्य हो। ऐसे में हम भारत और दूसरी पार्टियों से अपेक्षा करेंगे कि वह इस बात पर जरूर ध्यान दे और कोई भी तीसरी पार्टी इसमें दखल न दे।’

हुआ चुनयिंग ने आगे कहा कि, ‘भारत और जापान दोनों ही एशिया में बड़े महत्वपूर्ण देश हैं। ऐसे में हम आशा करते हैं कि दोनों देशों के रिश्तों में सामान्य विकास क्षेत्रीय स्थिरता और विकास में अहम रोल निभाएगा।’