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चीन की मीडिया ने भारत पर निशाना साधना शुरू कर दिया है। चीन की वेबसाइट ग्‍लोबल टाइम्‍स की एक रिपोर्ट में भारत पर आरोप लगाया गया कि उसने डोकलाम विवाद को जन्‍म दिया है। रिपोर्ट के अनुसार इस मुद्दे को लेकर मोदी सरकार की आक्रामकता से यह बात साफ है कि भारत चीन के साथ कूटनीतिक विरोध को बढ़ाना चाह रहा है।

रिपोर्ट में कहा गया कि मोदी से पहले भारत की आर्थिक और राष्ट्रीय शक्ति में तेजी से विकास हुआ। हालांकि चीन की शक्‍ति इस दौरान और तेजी से बढ़ी है। अब चीन तीव्रता से दक्षिण एशिया में अपना प्रभाव बढ़ा रहा है और यही बात भारत को परेशान कर रही है।

मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन पाकिस्‍तान के दोस्‍ती को बढ़ावा दे रहा है और चीन-पाकिस्‍तान इकनॉमिक कॉरिडोर की वजह से उनके रिश्‍ते और मजबूत हुए हैं। सिर्फ पाकिस्‍तान ही नहीं चीन ने नेपाल, श्रीलंका, मालदीव और दक्षिण एशिया के दूसरे देशों से भी अपने रिश्‍तों में सुधार किया है।

चीन की मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भारत चीन और अमेरिका के टकराव का फायदा उठा रहा है। भारत अपनी बढ़ती आर्थिक शक्‍ति की वजह से बीजिंग और नई दिल्‍ली के द्विपक्षीय रिश्‍तों में खटास डाल रहा है और इस क्षेत्र में बढ़ रहे चीन के दबदबे को रोकने की कोशिश कर रहा है। चीन सरकार के साथ कुछ दिन की दोस्‍ती कर अब पीएम नरेंद्र मोदी दोनों देशों को विवाद में झोंक रहे हैं।

ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि सितंबर में चीन के जिआमेन में होने वाले ब्रिक्स समिट में इस विवाद का असर होगा। साथ ही उन्होंने लिखा है कि भारत के नेताओं को लगता है कि देश खुशहाल है और उसे अमेरिका और जापान का भी समर्थन हासिल है। लेकिन भारतीय नेताओं ने यह समझने में गलती की है कि चीन की सरकार अपने देश की सुरक्षा और संप्रभुता को लेकर कितनी प्रतिबद्ध है।

नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी ऑफ द पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के इंटरनेशनल कॉलेज ऑफ डिफेंस में सहायक प्राध्यापक यू दोंगशियोम ने कहा कि अगर भारतीय रणनीतिकार और नीति निर्माता यह सोचते हैं कि चीन वापस लौट जाएगा, तो वह गलती कर रहे हैं।

व्यापार युद्ध गहराने की आशंका
चीनी सरकारी मीडिया ने सोमवार को कहा कि भारत व चीन के बीच व्यापार युद्ध की आशंका गहराती नजर आ रही है। डोकलाम में सैन्य गतिरोध के बीच भारत ने 93 चीनी उत्पादों पर डंपिंगरोधी शुल्क लगा दिया है। चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र ‘ग्लोबल टाइम्स’ में एक आलेख में चीन की कंपनियों से ‘भारत में निवेश करने के जोखिमों पर ​पुनर्विचार’ करने का आग्रह किया है इ.सके साथ ही इसमें भारत को आगाह किया गया है कि वह ‘अपने इन खराब फैसलों के संभावित परिणामों’ का सामना करने को तैयार रहे। आलेख के अनुसार चीन भारतीय उत्पादों पर प्रतिबंध लगाते हुए आसानी से बदले की कार्रवाई कर सकता है।