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अरुणाचल प्रदेश को लेकर लंबे समय से चले आ रहे व‍िवाद में एक बार फ‍िर चीनी सैन‍िकों ने दंबगई की कोश‍िश की है। हालांक‍ि भारतीय सैन‍िकों के आगे उनकी एक न चली और अरुणाचल में 1 km. तक घुसे चीनी सैनिकों को वापस जाना पड़ा। आइए जानें क्‍या है चीन और भारत के बीच अरुणाचल प्रदेश को लेकर व‍िवाद…

हाल ही में चीनी सैन‍िक अरुणाचल प्रदेश के तूतिंग क्षेत्र में भारतीय क्षेत्र में प्रवेश कर आए थे। चीनी सैन‍िक करीब करीब एक किलोमीटर अंदर तक आ गए थे। इनका कहना था क‍ि वह मार्ग गत‍िव‍िध‍ियों को देखने आए हैं। उन्‍हें तूतिंग क्षेत्र की कुछ सड़कों पर काम करना है। इस दौरान चीनी सैन‍िकों के हाथ में खुदाई करने वाले उपकरण सहित सड़क बनाने में काम आने वाले कई उपकरण थे।

ऐसे में जब भारतीय सैन‍िक कड़ा व‍िरोध करने लगे तो वे लोग अपने साथ लाए उपकरणों को भी वहीं छोड़कर भाग गए। वहीं इस मामले में अरुणाचल प्रदेश के स्थानीय ग्रामीणों का कहना है क‍ि चीनी सैनिकों के साथ असैन्य लोग भी थे। चीनी सैन‍िकों द्वारा एक बार फ‍िर भारतीय सीमा में घुसपैठ के मामले ने चीन की न‍ियत पर सवाल खड़े कर द‍िए हैं। उसके ये कदम अनदेखे करने वाले नहीं लग रहे हैं।

भारत और चीन में अरुणाचल प्रदेश को लेकर काफी पुराना व‍िवाद है। यह व‍िवाद करीब 4 हजार किमी की सीमा को लेकर है। इस सीमा रेखा को इसे LAC यानी क‍ि वास्तविक नियंत्रण रेखा कहते हैं। यह सीमा रेखा जम्मू-कश्मीर में भारत अधिकृत क्षेत्र और चीन अधिकृत क्षेत्र अक्साई चीन को अलग करती है। यह लद्दाख, कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से होकर गुजरती है। 1914 में मैकमोहन ने यह सीमा रेखा तय की थी।

हालांकि‍ चीन इस रेखा को नहीं मानता है। वह भारत के ह‍िस्‍से में आने वाले अरुणाचल को अपना बताता है, जि‍स पर भारत व‍िरोध जताता है। वहीं भारत अक्साई चीन तक अपना अधिकार बताता है। चीन ने 1962 के युद्ध में जबरन अक्‍साई चीन पर कब्जा कर लिया था। ऐसे में दोनों देशों की सेनाएं इस वास्तविक नियंत्रण रेखा पर डटी हैं और दोनों देशों में काफी तनाव है। भारत और चीन के बीच इस व‍िवाद को सुलझाने के ल‍िए करीब 14 बार वार्ता भी हुई लेक‍िन नतीजे शून्‍य रहे।