केंद्र सरकार की तरह उत्तराखंड सरकार की भी हर नीति और हर योजना स्टेट इंस्टीट्यूट फॉर इंप्वारिंग ट्रांसफॉर्मिंग उत्तराखंड (सेतु) की निगाहों से होकर गुजरेगी। सेतु बनाने के लिए नियोजन विभाग ने प्रस्ताव तैयार कर दिया है।वित्त विभाग की हरी झंडी मिलते ही दो मार्च की प्रदेश मंत्रिमंडल बैठक में प्रस्ताव को मंजूरी के लिए रखा जाएगा।

सचिव (नियोजन) मीनाक्षी सुंदरम के मुताबिक, सेतु के संबंध में विभाग की ओर से वित्त विभाग को एक दौर का प्रस्तुतिकरण दिया जाए चुका है। उत्तर प्रदेश इस योजना पर काम शुरू कर चुका है। सेतु बन जाने से यूपी के बाद उत्तराखंड ऐसा करने वाला देश का दूसरा राज्य बन जाएगा।

मुख्यमंत्री होंगे अध्यक्ष, उपाध्यक्ष पर मंथन
सेतु के अध्यक्ष मुख्यमंत्री होंगे जबकि उपाध्यक्ष पद पर अभी मंथन चल रहा है कि नीति आयोग की तर्ज पर विशेषज्ञ को बनाया जाए या राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष को यह जिम्मेदारी सौंपी जाए। संस्थान में एक पद सीईओ का होगा, जिस पर आउटसोर्स के माध्यम से एक विषय विशेषज्ञ की नियुक्ति की जाएगी।

इन क्षेत्रों के विशेषज्ञों की होगी तैनाती

नीति आयोग की तर्ज पर बनाए जाने वाले इस संस्थान में सेक्टर के आधार पर विशेषज्ञों की टीम होंगी। अवस्थापना विकास का एक विशेषज्ञ होगा। जबकि आजीविका व रोजगार से जुड़े कृषि, उद्यानिकी, पर्यटन व पशुपालन का दूसरा सेक्टर होगा। तीसरा सामाजिक क्षेत्र होगा, जिसमें इस सेक्टर से जुड़े विशेषज्ञ होंगे। सरकार की आय बढ़ाने के लिए चौथा सेक्टर होगा। इस क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञ आय बढ़ाने के उपाय सुझाएंगे।
राज्य के विकास को दिशा देगा संस्थान
अस्तित्व में आने के बाद यह संस्थान राज्य के विकास को दिशा देगा। प्रत्येक विभाग के स्तर पर बनाई जाने वाली योजना, कार्यक्रम, नीति, नियम के प्रस्ताव एक बार सेतु में अनिवार्य रूप से भेजे जाएंगे। इन पर नीति आयोग की तरह सेतु की भी विशेषज्ञ राय बहुत अहम होगी। सेतु से वेट होने के बाद ही योजनाओं, नीतियों के प्रस्ताव पर आगे काम होगा।