हाईकोर्ट ने हरिद्वार में धर्म संसद के नाम पर भड़काऊ भाषण देने के मामले में जितेंद्र नारायण त्यागी उर्फ वसीम रिजवी की ओर से दायर जमानत प्रार्थना पत्र पर सुनवाई के बाद सरकार को 23 फरवरी तक स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए हैं। न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई।

मामले के अनुसार नदीम अली निवासी ज्वालापुर, हरिद्वार ने हरिद्वार कोतवाली में 2 जनवरी 2022 को शिकायत दर्ज कर कहा था कि हिंदू साधु संतों ने हरिद्वार में धर्म संसद का आयोजन 17 से 19 दिसंबर तक किया था। धर्म संसद में मुसलमानों के खिलाफ युद्ध छेड़ने का आह्वान किया गया।

हरिद्वार की मस्जिदों में रह रहे लोगों के खिलाफ हिंसा फैलाने का प्रयास
मुसलमानों के धार्मिक ग्रंथ और पैगंबर साहब के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग किया गया। इन भड़काऊ बयानों का वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण त्यागी, यति नरसिंहानंद व अन्य ने वीडियो बनाकर वायरल भी कर दिया। इससे जिले में अशांति का माहौल रहा। प्रबोधानंद गिरी ने हरिद्वार की मस्जिदों में रह रहे लोगों के खिलाफ हिंसा फैलाने का प्रयास किया।

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पुलिस ने उनकी शिकायत पर आईपीसी की धारा 153, 295 तहत नरसिंहानंद गिरि, सागर सिंधु महाराज, धर्मदास महाराज, परमानंद महाराज, साध्वी अन्नपूर्णा, स्वामी आनंद स्वरूप, अस्वनी उपाध्याय, सुरेश चव्हाण सहित स्वामी प्रबोधानंद गिरि, जितेंद्र नारायण के खिलाफ धर्म संसद के नाम पर भड़काऊ भाषण देने पर मुकदमा दर्ज किया।

हरिद्वार धर्म संसद को लेकर हाईकोर्ट का फैसला, धर्मसंसद को लेकर हाईकोर्ट का फैसला