बुध पूर्णिमा

आज बुद्ध पूर्णिमा (वैशाख पूर्णिमा) बड़े ही हर्ष-उल्लास के साथ पूरे देश में मनाया जा रहा है। इस दिन भगवान बुद्ध को बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी। ऐसा कहा जाता है कि बुद्ध विष्णु भगवान के 9वें अवतार हैं। यह दिन लोग धूमधाम के साथ इसलिए मनाते हैं क्योंकि विश्वभर में करोड़ो लोग बौद्ध धर्म को मानते हैं।

बहुत कम ही लोग यह जानते होंगे कि इस दिन आपकी तकदीर पूरी तरह से पलट सकती है। इस दिन दान-पुण्य करके आपकी किस्मत चमक सकती है। आज इस अवसर पर आपको बुध पूर्णिमा के महत्व के बारे में बताते हैं…

ऐसा कहा जाता है कि आज के दिन धर्मराज के निमित्त जलपूर्ण कलश और पकवान दान किए जाए, तो सबसे बड़ा दान गोदान के बराबर फल मिलता है।

ऐसी मान्यता है कि बुध पूर्णिमा के दिन 5 या फिर 7 ब्राह्मणों को मीठे तिल दान करने से आपके सारे पापों का नाश हो जाता है।

ऐसा कहा जाता है कि बुध पुर्णिमा के दिन एक समय भोजन करके पूर्णिमा, चन्द्रमा या सत्यनारायण का व्रत किया जाए तो आपके जीवन में कोई कष्ट नहीं होगा।

जानकारी के अनुसार पड़ोसी देश श्रीलंका में काफी हद तक आज के दिन भारत की तरह दीपावली को मनाया जाता है। इस दिन घरों में दीपक जलाए जाते हैं। घरों और प्रांगणों को फूलों से सजाया जाता है।

इस दिन यूपी की राजधानी लखनऊ में गोमती नदी के किनारे बनारस के घाट की तर्ज पर महंत दिव्यागिरि जी महाराज गोमती की आरती करते हैं।

बुध पूर्णिमा के दिन काफी लोग बोधगया जाते हैं। जो लोग बौद्ध धर्म मानते हैं, वो सभी यहां आते हैं। यहां पर महाबोधि मंदिर है। यहां पर एक पील का पेड़ है। ऐसा माना जाता है कि इसी पेड़ के नीचे ईसा पूर्व 531 में भगवान बुध को बोध यानि ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।

आज के दिन बोधिवृक्ष की टहनियों को भी सजाया जाता है। इन पड़ों की जड़ों में दूध और इत्र डाला जाता है और दीपक भी जलाए जाते हैं।

कुछ लोग इस दिन पंक्षियों को भी पिंजरों से आजाद करते हैं।