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सुप्रीम कोर्ट में तमिलनाडु सरकार ने कहा कि पांच साल से कर्नाटक कावेरी नदी का पानी नहीं छोड रहा है। उसके बावजूद सरकार किसानों की मदद के लिए फसल बीमा और दूसरी सविधाएं दे रही है।

सुप्रीम कोर्ट में तमिलनाडु सरकार ने कहा है कि राज्य में 82 किसानों की मौत सूखे ही वजह से नहीं हुई है। ये सारी मौतें प्राकृतिक और निजी कारणों से हुई हैं। राज्य सरकार सूखे के हालात पर नजर रखे हुए हैं। फिर भी राज्य सरकार ने परिवारों को 3-3 लाख रुपये दिए हैं।

पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से पूछा है कि राज्य में किसानों द्वारा की जा रही खुदकुशी को रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं? साथ ही पीठ ने कहा कि चुप रहना समाधान नहीं है।

जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा हम तमिलनाडु सरकार से उम्मीद करते हैं कि वह अगली तारीख पर इससे निपटने की योजनाएं पेश करेगी। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट एक गैर सरकारी संगठन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा है।

किसानों की मांगें :
इन किसानों की मांग है कि केंद्र इन्हें 40 हजार करोड़ का सूखा राहत पैकेज दे और साथ में कर्जा भी माफ कर दिया जाए। उनकी फसल कई बार आए सूखे और चक्रवात में बर्बाद हो चुकी है। किसानों की यह भी मांग है कि उनको अगली साल के लिए बीज खरीदने दिए जाएं और हुए नुकसान की भरपाई की जाए।

किसानों का कहना है कि बैंकों और स्थानीय कर्जदाताओं के कर्जे से किसान तंग आ चुके हैं इसी वजह से कई किसानों ने कर्जा न चुका पाने की वजह से विवश होकर आत्महत्या भी कर ली है। रिपोर्ट्स हैं कि पिछले 4 महीनों में करीब 300 किसानों ने आत्महत्या की है।