कच्चा तेल

जी-20 और उससे पहले अमेरिका यात्रा के दौरान ट्रंप मोदी मुलाकात के बाद इतिहास में पहली बार भारत ने अमेरिका से कच्चा तेल खरीदना शुरू किया है। बता दें कि भारत अभी तक अपनी उर्जा जरूरतों के लिए खाड़ी देशों पर निर्भर था। सिर्फ भारत ही नहीं उससे पहले चीन, कोरिया जैसे देश अब खाड़ी देशों से अलग हटकर कच्चे तेल की खरीद अमेरिका से कर रहे हैं।

भारत कच्चे तेल का दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा खरीदार देश है और यह खरीद अभीतक वह खाड़ी देशों से किया करता था। भारतीय कंपनी इंडियन ऑयल ने अमेरिका की तेल कंपनी से पहली खेप कच्चे तेल की खरीद को पूरा कर लिया है और इस साल अक्टूबर तक कच्चे तेल से भरे टैंकर भारत के पोर्ट पर पहुंचना शुरू हो जाएगा।

बीते तीन साल से वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट, तेल कंपनियों के दिवालिया होने और सेक्टर में बढ़ती बेरोजगारी के चलते अमेरिका ने अपनी तेल कंपनियों को बेचने की मंजूरी दे दी है।

बता दें कि 40 साल से अमेरिका में किसी देश को कच्चा तेल बेचने पर पाबंदी लगी हुई थी। सिवाए कनाडा के अमेरिकी तेल कंपनियां दुनिया के किसी देश को कच्चा तेल नहीं बेच सकती थीं। लेकिन 2015 में कच्चे तेल की कीमतों में दर्ज हुई बड़ी गिरावट के बाद तेल कंपनियों को बचाने के लिए अमेरिका में बराक ओबामा प्रशासन ने इस प्रतिबंध को कमजोर करते हुए एशियाई देशों को तेल बेचने की इजाजत दे दी थी।

2015 तक अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें 20 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई। लिहाजा, ऑयल सेक्टर पर आई इस मुसीबत से बचने के लिए जहां बराक ओबामा प्रशासन ने कच्चा तेल बेचने पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया।