छात्रवृत्ति

देहरादून के डीएवी कॉलेज में फर्जीवाड़े के मामले में पूर्व प्राचार्य डॉ दिनेश कुमार समेत चार के खिलाफ डालनवाला कोतवाली पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। कॉलेज प्रशासन मामले की जांच कर रहे समाज कल्याण विभाग को यह नहीं बता पाया है कि साल 2009 से 2012 के बीच मिले करीब सवा नौ करोड़ रुपये में से उसने 1.69 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति कैसे और किसे बांटी।

दरअसल, छात्रों के प्रदर्शन के बाद जिलाधिकारी ने जिला समाज कल्याण अधिकारी को डीएवी कॉलेज में हुए छात्रवृत्ति घोटाले की जांच के निर्देश दिए थे। जांच में पाया गया कि साल 2009 से 2012 तक डीएवी कॉलेज को समाज कल्याण विभाग की ओर से छात्रवृत्ति के नाम पर सवा नौ करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। इसमें से 63.20 लाख रुपये अभी भी कॉलेज प्रशासन के खाते में जमा हैं, जबकि 6.82 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति बांटने का उपयोगिता प्रमाण पत्र विभाग को सौंप दिया गया। मगर बाकी के बचे 1.69 करोड़ रुपये का क्या हुआ, इसका जवाब कॉलेज नहीं दे पाया है।

2014 में हुआ महालेखाकार ऑडिट-
इससे पहले डीएवी पीजी कॉलेज में साल 2014 में भी महालेखाकार का 10 दिन का ऑडिट हुआ था। तब भी कॉलेज पूरी छात्रवृत्ति का उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं दे पाया था। जिसके बाद प्राचार्य ने संबंधित बाबू को नोटिस देते हुए डालनवाला थाने में तहरीर भी दी।

साल 2013 से ऑनलाइन छात्रवृत्ति-
समाज कल्याण विभाग साल 2013 से छात्रों के खाते में छात्रवृत्ति भेज रहा है। जबकि इससे पहले प्राचार्य के नेतृत्व में एक कमेटी का गठन किया जाता था, जो अपने हस्ताक्षर से छात्रों को उनकी छात्रवृत्ति आवंटित करती थी।

वहीं जिला समाज कल्याण अधिकारी अनुराग शंखधर ने बताया कि कॉलेज साल 2009 से 2012 के बीच 1.69 करोड़ की छात्रवृत्ति का यूसी नहीं दे पाया है। इस संबंध में कॉलेज से यूसी मांगा गया है, साथ ही जिलाधिकारी को रिपोर्ट सौंप दी गई है।