Indian politician and lawyer Kapil Sibal (C), part of the Supreme Court's six-member team of lawyers, is escorted by Delhi police as he comes out of Patiala Court in New Delhi on February 17, 2016. An Indian student leader arrested on a controversial sedition charge was attacked on February 17 as police brought him into court, in a case that has sparked mass protests and exposed deep divisions. AFP PHOTO / Prakash SINGH (Photo by PRAKASH SINGH / AFP)

वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल पर सुप्रीम कोर्ट ने 20 हज़ार रुपए का हर्जाना लगाया है. यह हर्जाना समाजवादी पार्टी नेता आज़म खान के बेटे अब्दुल्ला से जुड़े मामले में पेश न होने के लिए लगाया गया है. हालांकि, कोर्ट ने कहा है कि यह रकम सिब्बल चुकाएंगे या अब्दुल्ला के एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड, यह उन्हें तय करना है. इससे पहले 16 सितंबर को कोर्ट ने वकीलों के पेश न होने के चलते अब्दुल्ला की अपील खारिज कर दी थी. अब इस हर्जाने के साथ अपील को दोबारा बहाल कर दिया गया है.

जज करते रहे वकील कपिल सिब्बल का इंतजार

अब्दुल्ला ने यूपी की स्वार विधानसभा सीट से अपना निर्वाचन रद्द करने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है. हाई कोर्ट ने 25 साल से कम उम्र में चुनाव लड़ने के चलते अब्दुल्ला का निर्वाचन रद्द किया था. उम्र से जुड़े दस्तावेजों की हेरा-फेरी के मामले में अब्दुल्ला फिलहाल जेल में हैं. 16 सितंबर को जस्टिस ए एम खानविलकर की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच ने अब्दुल्ला की अपील को अंतिम सुनवाई के लिए लगाया था. जज काफी देर तक प्रतीक्षा करते रहे. न तो अपीलकर्ता की तरफ से पहले जिरह कर चुके कपिल सिब्बल पेश हुए, न ही कोई और वकील. इसके बाद जजों ने अपील खारिज कर दी.

किसी अन्य कोर्ट में व्यस्त थे कपिल सिब्बल

शुक्रवार को सिब्बल ने जजों से अपील को बहाल करने का अनुरोध किया. उन्होंने कहा कि 16 सितंबर को वह किसी अन्य कोर्ट में व्यस्त थे. उन्होंने एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड कमल मोहन गुप्ता से कहा था कि वह जजों को इसकी सूचना दें और सुनवाई टालने के आग्रह करें. इस पर जजों ने कहा कि उस दिन किसी ने उन्हें कोई जानकारी नहीं दी. मामला सुनवाई की सूची में सबसे पहले रखा गया था. वह 11.30 बजे तक इंतजार करते रहे. न्यायालय का समय इस तरह बर्बाद करने को स्वीकार नहीं किया जा सकता.

बेंच ने समय बर्बाद करने के लिए लगाया जुर्माना

सिब्बल के दोबारा अनुरोध पर जस्टिस खानविलकर ने कहा कि बेंच अपना समय बर्बाद करने के लिए 20 हज़ार रुपए का हर्जाना लगाएगी. वरिष्ठ वकील ने कहा कि वह इसे चुकाने को तैयार हैं. जज ने कहा कि यह आपको तय करना है कि यह रकम आप चुकाएंगे या दूसरे वकील.  सिब्बल ने कहा कि वह इस मुकदमे को निःशुल्क लड़ रहे हैं. इसलिए, यह रकम उन्हें अपनी जेब से देनी होगी.  इस पर जज ने कहा कि यह रकम विधिक सहायता कमिटी में जाएगी. वहां ज़रूरतमंदों को निःशुल्क कानूनी सहायता ही दी जाती है.