अंतरराष्ट्रीय अदालत

अंतरराष्ट्रीय अदालत (आईसीजे) भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव मामले की सुनवाई 15 मई को करेगी। अंतरराष्ट्रीय अदालत पाकिस्तान की सैन्य अदालत द्वारा भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को दी गई मौत की सजा पर मंगलवार को रोक लगा दी थी। गौरतलब है कि पिछले महीने पाकिस्तान में जाधव को फांसी की सुनाई गई थी।

जानकारों के मुताबिक भारत के पास कुलभूषण मामले में आईसीजे में जाने के साथ ही और कोई दूसरा कानूनी विकल्प नहीं बचा था। वहीं, माना जा रहा है कि कुलभूषण जाधव की मौत की सजा पर आईसीजे की तरफ से रोक से भारत ने पाकिस्तान पर कूटनीतिक सफलता हासिल कर ली है।

कुलभूषण जाधव की फांसी की सजा को रोकने के लिए भारत के पास अंतरराष्ट्रीय अदालत के पास जाना ही एक मात्र विकल्प बचा था। भारत को भय था कि कहीं पाकिस्तान जाधव को अपने यहां बिना आवश्यक कानूनी सहायता उपलब्ध कराए फांसी पर चढ़ा सकता है। पाकिस्तानी न्यायिक प्रक्रिया जानकारों का मानना है कि यदि भारत सैन्य अदालत के निर्णय के खिलाफ पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट में पहुंचता तो भी जाधव को वहां से न्याय मिलने की संभावना काफी कम थी।

पाक सेना पहले से ही जाधव के खिलाफ पहले ही न्यायिक प्रक्रिया को पक्षपातपूर्ण बनाने की कोशिश कर रही है। हालांकि भारत ने राजनयिक संबंधों से जुड़ी विएना संधि के उल्लंघन का हवाला देते हुए अंतरराष्ट्रीय अदालत में फांसी की सजा पर रोक लगाने की मांग की है।

46 साल बाद आईसीजे पहुंचा भारत
भारत 46 साल बाद किसी भी मामले के संबंध में अंतरराष्ट्रीय अदालत में पहुंचा है। अपने इस कदम से भारत ने पाकिस्तान को भी चौंका दिया है। 1947 के बाद यह दूसरा मौका है जब भारत ने यह विकल्प चुना है। साल 1971 में भारत इंडियन एयरलाइंस के विमान के अपहरण के बाद अपने हवाई क्षेत्र में पाकिस्तानी विमानों के उड़ने संबंधी अधिकार के लिए भारत अंतरराष्ट्रीय अदालत पहुंचा था। हालांकि अदालत का फैसला पाकिस्तान के पक्ष में आया था।