यह बात तो पहले ही उजागर हो गई थी कि पाकिस्तान इस वक्त गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है। अब विश्व बैंक की एक रिपोर्ट सामने आई है जिसमें यह बताया गया है कि पाकिस्तान अब विदेशी कर्जे में डूबे टॉप 10 देशों की सूची में भी शामिल हो गया है। दरअसल विश्व बैंक ने अपनी एक रिपोर्ट में यह भी बताया है कि अब पाकिस्तान Debt Service Suspension Initiative (DSSI)के दायरे में भी आ गया है। इसका मतलब यह हुआ कि पाकिस्तान पर अब इतना विदेशी कर्ज हो चुका है कि उसे अब उधार नहीं दिया जा सकता।

सोमवार को विश्व बैंक ने साल 2022 में अंतरराष्ट्रीय कर्ज के आंकड़े जारी किये। जो 10 देश डीएसएसआई के दायरे में आए हैं उनमें- अंगोला, बांग्लादेश, यूथोपिया, घाना, केन्या, मंगोलिया, नाइजीरिया, पाकिस्तान, उज्बेकिस्तान और जांबिया शामिल हैं। डेटा के मुताबिक इनपर 2020 के अंत तक 509 बिलियन डॉलर का कर्ज हो चुका है। यह आंकड़ा साल 2019 के आंकड़े से 59 फीसदी ज्यादा है। ‘The News International’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक विश्व बैंक की रिपोर्ट कहता है कि पाकिस्तान का विदेशी कर्ज 8 फीसदी बढ़ा है। इसी साल जून में एक रिपोर्ट आई थी जिससे पता चला था कि इमरान सरकार ने विश्व बैंक से 442 मिलियन डॉलर का कर्ज लिया था।

अब एक बार यह भी समझ लेते हैं कि साल 2018 के मध्य में यानी इमरान सरकार से पहले पाकिस्तान पर कुल कितना कर्ज था। उस वक्त तक पाकिस्तान का कुल कर्ज 24.9 ट्रिलियन रुपए था। इसे आबादी में प्रति व्यक्ति बांटें तो ये लगभग 1 लाख 20 हजार रुपए होता है। ये कर्ज बीते दो सालों में बढ़कर प्रति व्यक्ति 1 लाख 75 हजार रुपए हो चुका।

कुछ समय पहले पाकिस्तानी मीडिया में आई एक रिपोर्ट में कहा गया था कि  पाकिस्तान पर जितना कर्ज है उसमें इमरान सरकार का योगदान 40 फीसदी से ज्यादा है से ज्यादा है। हालांकि, इससे पहले भी पाकिस्तान के हालात खास बेहतर नहीं थे लेकिन बीते सालों में आर्थिक मोर्चे पर हालात और भी खराब हो गये। इसकी एक वजह कोरोना संक्रमण को भी माना जा रहा है। कोरोना की वजह से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर अच्छा-खासा असर पड़ा था। पाकिस्तान ने यूएई, चीन जैसे देशों के अलावा आईएएफएफ जैसे कई संस्थानों से कर्ज लिया है।

पाकिस्तान पर इतना कर्ज क्यों बढ़ा? इसके पीछे भी कई तर्क दिये जाते हैं। पाकिस्तान में कर्ज माफ कराने वाले आजाद घूम रहे हैं। जिसने पाक की अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव डाला है। लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था की वजह से यहां टमाटर, आलू जैसे खाने-पीछे की चीजों के दाम बढ़े तो वहीं पेट्रोल और डीजल के दाम भी समय-समय पर बढ़ते रहते हैं। इसके अलावा पाकिस्तान की जड़ में बस चुके भ्रष्टाचार को भी पाकिस्तान की गिरती अर्थव्यवस्था को एक अहम वजह माना जाता है। खुद इमरान खान की पार्टी के कई नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं।