Chief Minister Mehbooba Mufti, AFSPA, AFSPA Revocation, Armed Force Special Power

जम्मू. जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने राज्य से विवादित आर्म्ड फोर्स (स्पेशल पावर) एक्ट (AFSPA) हटाने से इनकार कर दिया है। इसके लिए उन्होंने राज्य के मौजूदा हालात का हवाला दिया है। उन्होंने कहा कि हमारी सेना पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा अनुशासित है।

‘सेना की वजह से ही हम यहां’

– सीपीएम के लीडर मोहम्मद यूसुफ तरिगामी ने AFSPA हटाने का मुद्दा उठाया तो मुख्यमंत्री ने कहा, “क्या ऐसे हालात में AFSPA हटाया जा सकता है? क्या यह सही है?”
– महबूबा ने आगे कहा, “इंडियन आर्मी दुनिया की सबसे अनुशासित सेना है। वह सुरक्षा के हालात बेहतर बनाने में लगी है…इसकी वजह से ही हम यहां हैं…उसने बड़ी शहादत दी है।”
– महबूबा ने यह बात उनके अंडर में आने वाले महकमों के लिए अनुदान की मांग को लेकर हो रही चर्चा के दौरान कही।

‘आतंकवाद-पत्थरबाजी बढ़ेगी तो सेना भी बढ़ेगी’

– मुख्यमंत्री ने कहा कि घाटी में सिक्युरिटी के बिगड़ते हालात की वजह से यहां सेना की मौजूदगी बढ़ी है।
– उन्होंने कहा, “अगर हालात बिगड़ते हैं, सिक्युरिटी फोर्स की मौजूदगी बढ़ेगी। अगर आतंकवाद और पत्थरबाजी में बढ़ोत्तरी होगी, तो आप यहां और ज्यादा पुलिस को देखेंगे। हम नहीं चाहते यह सब हो।”

क्या होता है AFSPA एक्ट?

– आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट (AFSPA) उपद्रव से घिरे नॉर्थ-ईस्ट में सेना को कार्रवाई में मदद के लिए 11 सितंबर 1958 को पारित किया गया था।

– बाद में जब 1989 में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद ने सिर उठाया तब 1990 में इसे वहां भी लागू किया गया। अफस्पा कानून तभी लगाया जाता है, जब संबंधित राज्य की सरकार इलाके को अशांत घोषित कर देती हैं। कॉन्स्टीट्यूशन में अशांत क्षेत्र कानून यानी डिस्टर्बड एरिया एक्ट (Disturbed Area Act) मौजूद है, जिसके अंतर्गत किसी क्षेत्र को अशांत घोषित किया जाता है।

– जिस क्षेत्र को अशांत घोषित कर दिया जाता है वहां पर ही अफस्पा कानून लगाया जाता है और इस कानून के लागू होने के बाद ही वहां सेना या सशस्त्र बल भेजे जाते हैं।

राज्य सरकार ही कर सकती है फैसला

– कानून लागू करने का फैसला या राज्य में सेना भेजने का फैसला दिल्ली ने नहीं, राज्य सरकार को करना पड़ता है।

– अगर राज्य की सरकार यह एलान कर दे की अब राज्य में शांति है तो यह कानून अपने आप ही वापस हो जाता है। सेना स्थिति देख बैरकों में चली जाती है।

– ऐसा नहीं है कि देश में सिर्फ कश्मीर में ही यह कानून लागू हो यहां के अलावा असम, नगालैंड, मणिपुर तथा मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय में भी अफस्पा लागू है।