नई दिल्ली, 1 सितम्बर 2021

भारतीय सेना की भर्ती को लेकर इन दिनों उत्‍तर प्रदेश में बवाल मचा हुआ है. चार दिनों पहले उत्‍तर प्रदेश के शामिली में सेना में भर्ती की तैयारी कर रहे युवकों ने जमकर हंगामा किया. मजबूर होकर पुलिस को बल का प्रयोग करना पड़ा. शामली जैसा आक्रोश आज अयोध्‍या में देखने को मिला. हालात एक जैसे ही थे. पहले सेना में भर्ती की तैयारी कर रहे सैकड़ों बच्‍चों का हुजुम पूराकलंदर थाने के डाभासेमर इलाके में इकट्ठा हुआ. अपनी आवाज प्रशासन और सेना मुख्‍यालय तक पहुंचाने के लिए प्रयागराज को जाने वाले हाईवे पर जाम लगा दिया.

प्रयागराज हाईवे जाम होते ही पुलिस प्रशासन हरकत में आ गया. मौके पर पहुंचे पुलिस ने पहले समझाने की कोशिश की. बच्‍चों ने ठोस नतीजों की बात की तो लाठी पकटकर डराने की कोशिश हुए. बच्‍चे जब फिर भी नहीं मानें तो हल्‍के बल का प्रयोग कर मौके से खदेड दिया गया. भर्ती रद्द होने से जिन बच्‍चों को अपना भविष्‍य अंधकार मय दिख रहा हो, वो बच्‍चे अब इतनी आसानी से कहां मानने वाले थे. बच्‍चे डाभासेमर से कोतवाली नगर के नाके पर पहुंच गए और अपनी आवाज रखने लगे. अब तक पुलिस के आला अधिकारी मौके पर पहुंच चुके थे. उन्‍होंने बच्‍चों को समझाया. बच्‍चे समझ भी गए, सेनाध्‍यक्ष के नाम ज्ञापन दिया और अपने घर को चले गए.

सेना के दावा, समय पर दी गई भर्ती रद्द होने की जानकारी
भारतीय सेना ने भर्ती रैली के लिए बीते महीने नोटिफकेशन जारी किया था. नोटिफिकेशन में यूपी के गोरखपुर, आजमगढ़, मऊ, बलिया, देवरिया, गाजीपुर, संत रविदास नगर, सोनभद्र, मिर्जापुर, चंदौली, जौनपुर और वाराणसी जिलों के लिए भर्ती रैली आयोजित की जानी थी. नोटिफिकेशन में भर्ती रैली के लिए 6 सितंबर से 30 सितंबर का समय तय किया गया था. इस बीच, कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए सेना ने भर्ती रैली को एक बार फिर रद्द करने का फैसला लिया. सेना के रिक्‍यूटमेंट डायरेक्‍टर कर्नल सिद्धार्थ बासु के अनुसार, रैली रद्द होने की सूचना समय से विभिन्‍न माध्‍यमों से दी गई थी. राष्‍ट्रीय और स्‍थानीय समाचार पत्रों के जरिए भी रैली रद्द होने की खबर बच्‍चों तक पहुंचाई गई थी.

जब समय से सूचना मिल गई, तब हंगामा क्‍यों?
यह सही है कि भारतीय सेना के भर्ती निदेशालय की तरफ से समय रहते भर्ती रैली रद्द होने की सूचना दे दी गई थी. इस सूचना को मीडिया के लगभग हर सेक्‍शन ने दिखाया या बताया था. फिर यह सवाल उठता है कि समय समय रहते सूचना दे दी गई थी, तब भर्ती रैली रद्द होने को लेकर बवाल क्‍यों मचाया गया? तो इसका जवाब यह है कि भारतीय सेना में भविष्‍य तलाश रहे बच्‍चे सिर्फ वाराणसी या दूसरे शहरों में होने वाली भर्ती से नाराज नहीं थे, वे इस बात से भी नाराज थे कि पिछले दो सालों से पिछले दो सालों से सेना ने भर्ती परीक्षा आयोजित की ही नहीं. यही बात उन्‍होंने सेना प्रमुख को दिए अपने ज्ञापन में भी कही है.

आखिर किसकी गलती?
सेना में भर्ती होने के लिए बीते कई सालों से रात-दिन एक करने वाले ये नौजवान इस बात से भी खफा है कि दो साल भर्ती न होने का सीधा असर उनकी योग्‍यता पर पड़ा है. कई सारे नौजवान ऐसे हैं, जो निर्धारित उम्र की सीमा को पार कर चुके हैं. कुछ ऐसे भी हैं, जो उम्र सीमा के मुहाने पर आ खड़े हुए हैं. ये नौजवान यह मानते हैं कि कोरोना काल में रैली कराना संभव नहीं था, लेकिन वह साथ में यह भी कहते हैं कि इसमें उनकी कोई गलती नहीं है. यदि कोरोना का बस किसी पर नहीं था, तो उन्‍हें अब उम्र सीमा में दो साल की रियायत दी जाए. इन नौजवानों ने यह मांग सेना प्रमुख को दिए ज्ञापन में भी कही है.