डिप्रेशन

परीक्षा में फेल होने का डर इस कदर दिल में समा गया कि दो छात्राओं ने अपना जीवन ही खत्म कर लिया। पहली घटना कानपुर के मंधना में हुई जहां बीएससी प्रथम वर्ष की छात्रा ने फांसी लगाकर जान दे दी। वहीं दूसरी घटना दर्शनपुरवा की है, जहां जहां यूपी बोर्ड 10वीं की छात्रा ने फांसी लगा ली। परिवार वाले तो बेसब्री से अपनी बेटियों के ​परिणाम का इंतजार कर रहे थे, मगर उन्हें क्या पता था कि उनकी बेटियां अवसाद से गुजर रही हैं। कुछ दिनों पहले भी एक छात्रा ने अवसाद से ग्रस्त होकर अपनी जान दे दी थी।

पूरे दिन डिप्रेशन में रही छात्रा ने शाम को किया सुसाइड: दर्शनपुरवा निवासी इंद्रपाल सिंह की बड़ी बेटी एकता उर्फ जान्हवी (15) एक निजी स्कूल से हाईस्कूल की छात्रा थी। शुक्रवार को रिजल्ट आने की बात उसे सहेलियों ने बताई थी। गुरुवार को वह सुबह से ही तनाव में थी, मगर परिजन उसकी मनोदशा को समझ नहीं सके। पिता ने काफी समझाया भी था। देर शाम जब मां सीमा घर के कामकाज में व्यस्त थी, तभी एकता ने पंखे के कुंडे से फांसी लगा ली। छोटी बहन खेलती हुई आयी, तो उसने एकता को फंदे पर लटकता देख शोर मचाया। देर रात उपचार के दौरान एकता की मौत हो गयी।

रिजल्ट को लेकर परेशान थी बीएससी प्रथम वर्ष की छात्रा : बिठूर में गुरुवार शाम रिजल्ट को लेकर परेशान बीएससी प्रथम वर्ष की छात्र ने फांसी लगा ली। मंधना रामादेवीपुरम में रहने वाले राजाबाबू दीक्षित की इकलौती बेटी भावना (18) तातियागंज स्थित एक निजी कालेज से बीएससी प्रथम वर्ष की छात्र थी। भावना का आज रिजल्ट आना था, जिसे लेकर वह काफी परेशान चल रही थी। गुरुवार शाम भावना ने पंखे के कुंडे से साड़ी के सहारे फांसी लगा ली। छोटा भाई अनमोल खेलते हुए घर पहुंचा, तो बहन को फंदे पर लटकता देखकर मां कुसुमकांती को जानकारी दी। चौबेपुर सीएचसी में डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

मनोवैज्ञानिक की सलाह :
– अभिभावक परीक्षा परिणाम को लेकर बच्चों को समझाएं कि परिणाम चाहें, जो भी आए उसे सकारात्मक सोच के साथ स्वीकारें।
– यदि परीक्षा परिणाम आशा के अनुरूप नहीं आता है, तो बच्चों को कतई डांटे नहीं और न ही उन पर दबाव बनाए बल्कि उन्हें प्रेरित करें।
– यदि परीक्षा परिणाम आशा के अनुरूप न आए तो बच्चों को अकेला न छोड़े उनकी काउंसलिंग जरूर कराएं।
– बच्चों को जिंदगी जीने का हुनर समझाएं और बताएं कि परीक्षा ही सबकुछ नहीं है।