भारतीय रिजर्व बैंक

नई दिल्लीः रिजर्व बैंक की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार मारीशस, भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफ.डी.आई.) का सबसे बड़ा स्रोत है। इसके बाद अमरीका और ब्रिटेन का स्थान है। रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार सिंगापुर और जापान इस मामले में चौथे और पांचवे स्थान पर हैं। रिजर्व बैंक की आज जारी 2016-17 की भारतीय प्रत्यक्ष निवेश कंपनियों की विदेशी देनदारी और संपत्ति नामक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।

रिजर्व बैंक द्वारा की गई गणना में शामिल 18,667 कंपनियों में से 17,020 कंपनियों के मार्च 2017 में समाप्त वित्त वर्ष के खाते में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश या फिर विदेशों में उनके प्रत्यक्ष निवेश की स्थित को शामिल किया गया है। इसमें कहा गया है, ‘‘रिजर्व बैंक की इस रिपोर्ट के लिए जानवारी वाली कंपनियों में से मार्च 2017 की स्थिति के अनुसार 96 प्रतिशत कंपनियां गैर-सूचीबद्ध कंपनियां हैं। इनमें से ज्यादातर कंपनियों में सीधे एफ.डी.आई. प्राप्त हुआ था। सूचीबद्ध कंपनियों के बजाय गैर-सूचीबद्ध कंपनियों में एफ.डी.आई. का अधिक हिस्सा है।’’ रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि जिन 15,169  कंपनियों ने एफ.डी.आई. होने की जानकारी दी है उनमें से 80 प्रतिशत से अधिक कंपनियां अपनी विदेशी कंपनियों की अनुषंगी हैं। यानी उनके किसी एक विदेशी निवेशक के पास 50 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी है।

रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘भारत में प्राप्त एफ.डी.आई. में बाजार मूल्य के हिसाब से मारीशस का सबसे ज्यादा 21.8 प्रतिशत हिस्सा है। इसके बाद अमरीका, ब्रिटेन, सिंगापुर,  जापान और सिंगापुर का स्थान रहा है। वहीं भारत से विदेशों में किए जाने वाले प्रत्यक्ष निवेश (ओ.डी.आई.) को हासिल करने के मामले में सिंगापुर 19.7 प्रतिशत के साथ सबसे बड़ा विदेशी स्थान रहा । इसके बाद हालैंड, मारीशस और अमरीका का स्थान रहा। रिपोर्ट में भारतीय कंपनियों की विदेशी देनदारी और संपत्तियों के मामले में विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराई गई है। आंकड़ों के मुताबिक वित्तीय एफ.डी.आई. कंपनियों के मुकाबले गैर-वित्तीय एफ.डी.आई. कंपनियों में काफी ज्यादा हिस्सेदारी देखी गई है। बाजार मूल्य पर कुल एफ.डी.आई. में विनिर्माण क्षेत्र का करीब करीब आधा हिस्सा रहा है। इसके अलावा सूचना और दूरसंचार सेवाओं, वित्तीय और बीमा गतिविधियां एफ.डी.आई. पाने वाले अन्य प्रमुख क्षेत्र रहे हैं।