Mohan Bhagwat

कोलकाता : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने छह दिवसीय बंगाल प्रवास के दौरान स्वयंसेवकों को डोर टू डोर कैंपेन करने का मंत्र दिया, ताकि पश्चिम बंगाल में संगठन का प्रसार-प्रसार को तेज किया जा सके और जेहादी, राजनीतिक और वामपंथी शक्तिओं के खिलाफ जागरूकता पैदा की जा सके.

श्री भागवत 19 दिसंबर से 24 दिसंबर तक कोलकाता प्रवास में रहे. इस दौरान उन्होंने समाज के विशिष्ट लोगों, उद्योगपतियों व स्वयंसेवकों के साथ लगातार बैठक कीं. प्रवास के अंतिम दो दिनों में आरएसएस सरसंघचालक ने हावड़ा के तांतबेड़िया में आरएसएस की सांगठनिक बैठक में हिस्सा लिया.

बैठक में दक्षिण बंगाल के विभिन्न इलाकों से लगभग 125 प्रतिज्ञित प्रतिनिधियों ने केवल सांगठनिक बैठक में हिस्सा लिया, वरन फिर से अतुल कुमार विश्वास को प्रांत संघचालक निर्वाचित कर लिया गया. इसके साथ ही प्रांत कार्यवह की जिम्मेदारी भी पूर्व की भांति डॉ जिष्णु बसु के पास ही रही. बैठक में जिला स्तर के पदाधिकारियों का भी चयन किया गया.

आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि प्रांत संघचालक के निर्वाचन के बाद अब 22-23 जनवरी को प्रांत पदाधिकारियों की बैठक होगी. इस बैठक में आरएसएस केे सरकार्यवह वी भगैया उपस्थित रहेंगे. इस बैठक में आरएसएस प्रमुख श्री भागवत के छह दिवसीय प्रवास के दौरान दिये गये निर्देशों के अनुरूप वार्षिक कार्यक्रम का निर्धारण किया जायेगा. पश्चिम बंगाल में संगठन का विस्तार कैसे किया जाये. इसकी रणनीति को क्रियान्वित रूप दिया जायेगा.

वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि आरएसएस प्रमुख ने पश्चिम बंगाल की राजनीतिक, सामाजिक स्थिति पर विस्तृत चर्चा की. इसके पहले भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में बंगाल की स्थिति को एजेंडा में शामिल किया गया था तथा बंगाल में चल रही गतिविधियों व तृणमूल सरकार के रवैये पर चिंता जतायी थी. वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि सरसंघचालक ने सीमावर्ती इलाकों में तस्करी, घुसपैठ व बंगाल के विभिन्न इलाकों में स्लीपर सेल के सक्रिय होने की घटना को लेकर भी चिंता जतायी और बांग्लादेश से सटे इलाकों में सीमांत सचेतना मंच को और भी सक्रिय करने का निर्देश दिया.

सीमांत सचेतना मंच के पदाधिकारियों को स्थानीय लोगों, बीएसएफ के जवानों व खुफिया एजेंसियों के साथ मिल कर इलाके में जागरूकता पैदा करने लिए कार्यक्रम लेने का बात कही. ग्रामीण इलाकों में संघ के विभिन्न सहयोगी संगठनों के कार्यक्रम नियमित रूप से करने तथा आम लोगों को उनसे जोड़ने की बात कही.