आतंकियों के साथ तार जुड़े होने के मामले में जम्मू-कश्मीर सरकार ने पांच सरकारी कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। सरकार ने उन्हें तत्काल प्रभाव से निष्कासित कर दिया है। उनपर संविधान के प्रोविजन 311 (2) (C) के तहत कार्रवाई की गई है।

नौकरी से निकाले जाने वालों में दो  पुलिस कॉन्स्टेबल भी शामिल है। पुलवामा के रहने वाले कॉन्स्टेबल तौसीफ अहमद मीर, कंप्यूटर ऑपरेटर गुलाम हस पैरे, एक शिक्षक अरशिद अहमद दास और पुलिस कॉन्स्टेबल शाहिद हुसैन रैथर शामिल हैं। इसके अलावा कुपवाड़ा के रहने वाले ए खान का भी आतंकियों से लिंक पाया गया। वह स्वास्थ्य विभाग में काम कर रहा था। उसे भी बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है।

बता दें कि जम्मू-कश्मीर सरकार अकसर इस तरह के कदम उठाती रहती है। आतंकियों के साथ मिलीभगत की सूचना मिलने पर सरकारी कर्मचारियों को बख्शा नहीं जाता है। नौकरी से निकाले जाने के साथ उनपर सुरक्षा अधिनियम के तहत केस भी चलाया जाता है। इससे पहले जम्मू-कश्मीर सरकार ने आदेश जारी करके कहा था कि देशद्रोहियों का समर्थन करने पर सरकारी कर्मचारियों को नौकरी से बाहर कर दिया जाएगा।

सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि देश की संप्रभुता, अखंडता के लिए खतरा बनने वाले लोगों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। प्रदेश सरकार ने समय समय पर चरित्र प्रमाणीकरण का भी आदेश दिया है। यह भी कहा गया है कि कोई प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से भी अगर विदेशी हित में लगा पाया जाता है तो उसपर कार्रवाई निश्चित है।