जी-20 शिखर सम्मेलन में शनिवार को भारत और समूह के 18 अन्य सदस्यों ने पेरिस जलवायु समझौते को ‘बदला नहीं जा सकने वाला’ करार दिया और इस ऐतिहासिक समझौते का समर्थन किया जिससे वॉशिंगटन ने अलग होने का निर्णय लिया है।

इस शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा मेजबान जर्मनी की चांसलर एंजेला मार्केल और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप समेत विश्व के कई शीर्ष नेताओं ने भाग लिया। इस दौरान शहर में हिंसक प्रदर्शन हुए जहां हजारों पूंजीवाद विरोधी प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच संघर्ष हुआ। दो दिवसीय जी-20 शिखर सम्मेलन में भारतीय पक्ष को आतंकवाद को रोकने और वैश्विक व्यापार एवं निवेश को बढ़ावा देने के संकल्प में महत्वपूर्ण योगदान देते देखा गया।

एंजेला ने कहा कि, ‘दुर्भाग्यवश अमेरिका पेरिस समझौते के खिलाफ खड़ा रहा लेकिन अन्य सभी सदस्यों ने इस समझौता का समर्थन किया। पेरिस समझौते से अमेरिका के पीछे हटने के फैसले को ध्यान में रखते हुए जी-20 की आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया कि अन्य जी-20 सदस्यों के नेताओं ने सहमति जताई कि पेरिस समझौते में परिवर्तन नहीं किया जा सकता। विज्ञप्ति में भ्रष्टाचार, कर चोरी, आतंकवाद को मिलने वाली वित्तीय मदद और मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ मिलकर लड़ने की प्रतिबद्धता जताई गई।’

नेताओं ने भ्रष्टाचार के खिलाफ संगठित होने संबंधी जी-20 के उच्च स्तरीय सिद्धांतों को सम्मेलन में पारित किया जिनमें कहा गया कि भ्रष्टाचार सरकार के दक्ष और प्रभावी संचालन के अलावा निर्णय लेने में निष्पक्षता और सरकारी सेवाओं को उचित तरीके से मुहैया कराने की प्रक्रिया को बाधित करता है।

जी20 शिखर सम्मेलन के मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 8 जुलाई को इटली के प्रधानमंत्री पाओलो जेंटीलोनी और दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जेई-इन से मुलाकात की तथा आपसी संबंधों को बढ़ाने और वैश्विक स्तर पर सहयोग के बारे में विचार विमर्श किया।

जी20 शिखर सम्मेलन के पहले दिन कल मोदी की जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे और कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन त्रुदू के साथ भी द्विपक्षीय मुलाकात हुई। जापान के प्रधानमंत्री के साथ बैठक के बारे में विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय रिश्तों में प्रगति के बारे में संक्षेप समीक्षा की. इसमें उन्होंने मोदी की नवंबर 2016 में हुई जापान यात्रा के बाद से महत्वपूर्ण परियोजनाओं की प्रगति पर भी फौरी तौर पर समीक्षा की। प्रधानमंत्री मोदी ने उसके बाद से द्विपक्षीय संबंधों में हुई प्रगति को लेकर संतोष जताया।