Patanjali

देहरादून, अब उत्तराखंड में पैदा होने वाली जड़ी बूटियों के खरीद मूल्य को राज्य सरकार के बजाय पतंजलि तय करेगी। बता दें कि ऐसा पहली बार है जब खरीद मूल्य कोई प्राइवेट व्यावसायिक कंपनी करेगी। राज्य में बंद पड़े कुछ टूरिस्ट सेंटर भी संचालन के लिए पतंजलि को दिए जाएंगे।

पतंजलि योगपीठ के प्रमुख आचार्य बालकृष्ण और सीएम त्रिवेंद्र रावत की मौजूदगी में बीते शनिवार को बैठक में यह सहमति बनी। इसके लिए बैठक बुलाई गई थी। सीएम ने जड़ी-बूटी उत्पादन विपणन को बढ़ावा देने के लिए सिंगल विंडो सिस्टम की जरूरत बताई।

जड़ी बूटियों का न्यूनतम क्रय मूल्य सरकार की बजाए आयुर्वेद के उत्पाद बनाने वाली कंपनी पतंजलि घोषित करेगी। राज्य में अभी तक जड़ी बूटियों का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित नहीं किया जाता था। निर्णय लिया कि सरकार राज्य में मौजूद जड़ी बूटियों की सूची पतंजलि को देगी। इसके बाद पतंजलि इनका न्यूनतम क्रय मूल्य तय करेगी।

चंपावत के नारियाल गांव में सरकार की बद्री गाय संवर्द्धन योजना अब पतंजलि संचालित करेगा। यह सरकारी फार्म 21 हेक्टेयर (करीब 1050 नाली) क्षेत्र में फैला है। यहां 193 गायें हैं। पशुपालन विभाग पतंजलि को 12000 लीटर दूध की आपूर्ति करेगा। पतंजलि आयुर्वेद विवि के शोधार्थियों को अपनी लैब उपलब्ध कराएगा।

हरिद्वार के प्रभारी डॉ. दीनानाथ शर्मा का कहना है कि राज्य सरकार का यह फैसला स्वीकार करने योग्य नहीं है। इससे उत्तराखंड में पैदा होने वाली औषधियों पर एक ही संस्था का एकाधिकार हो जाएगा। एक संस्था को इतना बड़ा अधिकार देना बिल्कुल उचित नहीं है।

प्रदेश अध्यक्ष-कांग्रेस प्रीतम सिंह का कहना है कि प्रदेश सरकार हर क्षेत्र में मर्यादाओं का उल्लंघन कर रही है। कभी संघ इनकी समीक्षा करता है तो कभी पूरी सरकार व्यापारी बाबा रामदेव की गोद में बैठी नजर आती है।