उज्जैन. एक साल में 24 एकादशी होती है। इन सभी का नाम और महत्व अलग-अलग होता है। फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी और रंगभरी एकादशी कहते हैं। इस बार ये तिथि 2 दिन रहेगी। इस व्रत में भगवान विष्णु की पूजा मुख्य रूप से की जाती है। मथुरा, वृंदावन के मंदिरों में इस दिन विशेष उत्सव मनाया जाता है, जिसे फाग कहते हैं। इस दिन से वहां होली की शुरूआत हो जाती है। आगे जानिए इस बार कब किया जाएगा ये व्रत व अन्य खास बातें…

इसलिए 2 दिन किया जाएगा ये व्रत
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मितेश शर्मा के अनुसार, फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 2 मार्च, गुरुवार की सुबह 06:39 से 03 मार्च, शुक्रवार की सुबह 09:11 तक रहेगी। 2 मार्च को पूरे दिन एकादशी तिथि रहेगी, इस दिन स्मार्त मत को मानने वाले आमलकी एकादशी का व्रत करेंगे, वहीं अगले दिन यानी 3 मार्च को सूर्योदय के समय एकादशी तिथि होने से वैष्णव संप्रदाय के लोग व्रत करेंगे।

कौन-कौन से शुभ योग बनेंगे?
पंचांग के अनुसार, 2 मार्च, गुरुवार को ग्रह-नक्षत्रों के संयोग से सिद्धि, सर्वार्थसिद्धि, सौभाग्य और आयुष्मान नाम के 4 शुभ योग बनेंगे। वहीं दूसरे दिन यानी 3 मार्च, शुक्रवार को सौभाग्य, शोभन और सर्वार्थसिद्धि नाम के 3 शुभ योग दिन भर रहेंगे। इन शुभ योगों के चलते इस व्रत का महत्व और भी बढ़ जाएगा। अपने-अपने मतों के अनुसार दोनों ही दिन आमलकी एकादशी का व्रत किया जा सकता है।

ये है आमलकी एकादशी की पूजा-व्रत विधि (Amalaki Ekadashi 2023 Puja Vidhi)
– जिस भी दिन आप आमलकी एकादशी का व्रत करना चाहें, (2 ये 3 मार्च को) उस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद हाथ में जल और चावल लेकर व्रत-पूजा का संकल्प लें।
– जैसा व्रत आप करना चाहते हैं, उसी के अनुसार संकल्प लेना चाहिए। यानी एक समय फलाहार करना चाहते हैं तो वैसा संकल्प लें और पूरा दिन निराहार (बिना खाए) रहना चाहते हैं तो वैसा संकल्प लें।
– इसके बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र एक किसी साफ स्थान पर स्थापित करें और शुद्ध घी का दीपक जलाने के बाद कुमकुम का तिलक लगाएं और फूल माला पहनाएं।
– इसके बाद भगवान विष्णु को एक-एक करके रोली, कुमकुम, चावल, गुलाल, अबीर आदि चीजें चढ़ाते रहें। बाद में आंवला वृक्ष की पूजा भी करें। वृक्ष के चारों ओर साफ-सफाई करें और गाय के गोबर से लीपें।
– इस पेड़ के नीचे एक कलश रखकर उसके ऊपर दीपक जलाएं। कलश पर भगवान परशुराम की तांबा, पीतल या मिट्टी की प्रतिमा स्थापित करें और विधिवत रूप से पूजा करें। रात भर जागरण करें।
– व्रत के अगले दिन सुबह ब्राह्मणों को भोजन करवाकर दक्षिणा दें। साथ ही भगवान परशुराम की मूर्ति सहित कलश ब्राह्मण को भेंट करें। इसके बाद ही स्वयं भोजन करें। इस व्रत से आपकी हर परेशानी दूर हो सकती है।

भगवान विष्णु की आरती (Lord Vishnu Aarti)
ओम जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥
ओम जय जगदीश हरे…॥
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥
ओम जय जगदीश हरे…॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी।
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ओम जय जगदीश हरे…॥
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
ओम जय जगदीश हरे…॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥
ओम जय जगदीश हरे…॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥
ओम जय जगदीश हरे…॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥
ओम जय जगदीश हरे…॥
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥
ओम जय जगदीश हरे…॥
जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥
ओम जय जगदीश हरे…॥