नई दिल्ली, मंगलवार को पद्मावती विवाद पर एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को जमकर फटकार लगाईं. सुप्रीम कोर्ट ने हिदायत दी कि सेंसर बोर्ड की क्लीयरेंस से पहले फिल्म के खि‍लाफ बयानबाजी बंद करें. इससे खराब माहौल बन रहा है.

सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि जो फिल्म सेंसर बोर्ड से क्लीयर नहीं हुई है, जिम्मेदार पदों पर बैठे लोग उस पर कैसे टिप्पणी कर सकते हैं?

सुप्रीम कोर्ट के निशाने पर वो मुख्यमंत्री, मंत्री और जनप्रतिनिधि भी रहे जिन्होंने हाल के दिनों में पद्मावती को लेकर गैर जिम्मेदार बयान दिए. सुप्रीम कोर्ट ने आश्चर्य जताया, नागरिकों के बीच इस तरह की चर्चा एक अलग विषय है, लेकिन जिम्मेदार पदों पर बैठे लोग इस तरह के बयान कैसे जारी कर सकते हैं.’

SC ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि CBFC की ओर से क्लीयरेंस मिलने से पहले वह सुनिश्चित करे जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों की तरफ से ऐसे बयान न आए. कोर्ट ने आरोप लगाया कि ऐसे बयानों की वजह से फिल्म के खिलाफ माहौल बन रहा है.

आपको बता दें कि पद्मावती पर जारी विवाद के दौरान केंद्रीय मंत्रियों, सांसदों, कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने विवादित बयान दिए. कुछ नेताओं ने पद्मावती के निर्देशक संजय  लीला भंसाली और एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण के सिर और नाक काटने की धमकी दी. करोड़ों के इनाम की भी घोषणा की. माना जा रहा है कि ऐसे बयानों ने पूरे मामले में आग में घी डालने का काम किया.