देहरादून, 7 जुलाई 2021

उत्तराखंड से बड़ी ख़बर सामने आई है, जहां उत्तराखंड राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर केंद्र सरकार रणनीति बना रही है. वहीं कांग्रेस भी गजब कर रही है जहाँ सत्ता पक्ष में मुख्यमंत्री के पद को लेकर उठे तूफान को संगठन के रणनीतिकारों और विधायकों ने मिल बैठकर शांत कर दिया। वहीं विपक्षी पार्टी कांग्रेस में 20 दिन बाद भी नेता प्रतिपक्ष की खोज जारी है।

भाजपा ने कुमाऊं से मुख्यमंत्री बनाकर कांग्रेस की उलझन और बढ़ा दी है। इसे भाजपा का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है। कांग्रेस पर अब विधायक मंडल का नेता चुनने को लेकर दबाव बन गया है।उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पहले जहां बीजेपी ने 4 महीने में 3 मुख्यमंत्री बदलने का फैसला कर लिया, वहीं कांग्रेस में इंदिरा हृदयेश के निधन के बाद खाली हुए सीएलपी पद को भरने का अभी तक फैसला नहीं हो पाया है.

दरअसल कुछ महीने बाद राज्य में विधानसभा चुनाव होने वाला है। ऐसे में बीजेपी उत्तराखंड को प्रतिनिधित्व देकर पहाड़ की जनता को साधने की कोशिश कर सकती है। बीते दिनों उत्तराखंड में महज 4 महीने के भीतर दो बार नेतृत्व परिवर्तन हुआ। मार्च में पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत से अचानक इस्तीफा ले लिया गया। उनकी जगह तीरथ सिंह रावत सीएम बनाए गए। अब तीरथ की जगह पुष्कर सिंह धामी को कमान सौंपी गई है।

उत्तराखंड कांग्रेस विधानमंडल दल ने फैसला केंद्रीय नेतृत्व पर छोड़ दिया है, लेकिन कांग्रेस आलाकमान अभी तक नाम पर फैसला करने में सफल नहीं हुआ है. उत्तराखंड कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि आलाकमान जल्द फैसला ले सकता है. सिंह ने बताया कि सीएलपी नेता को लेकर कांग्रेस विधानमंडल की बैठक हुई और सर्वसम्मति से तय किया गया कि नेता प्रतिपक्ष का नाम कांग्रेस आलाकमान ही चुने. जल्द ही इस पर आलाकमान फैसला ले लेगा.

लेकिन जिस तरह से ये मामला इतना आसान दिख रहा है, ये असल मे उतना आसान है नहीं. खुद प्रीतम सिंह फैसले के इंतज़ार में एक हफ्ते से ज़्यादा समय से दिल्ली में बने रहे. लेकिन अब तक कोई फैसला न हो पाने के चलते वो भी आगे के कार्यक्रम की तैयारी के लिए मंगलवार को उत्तराखंड रवाना हुए.

वहीं पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत चाहते हैं कि विधानसभा चुनाव 2022 के लिए मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया जाए जबकि प्रीतम सिंह और प्रदेश प्रभारी चाहते हैं कि चुनाव संयुक्त रूप से लड़ा जाए. प्रीतम सिंह और हरीश रावत के बीच के मतभेद भी लगातार खबरों में रहे हैं. इन तमाम कारणों से कांग्रेस फैसला करने में असमर्थ दिख रही है.

सत्तारूढ़ भाजपा से पहले वह नेता चयन की उलझन में फंसी थी, लेकिन हल वह अब तक नहीं निकाल पाई है। जबकि पार्टी के सभी वरिष्ठ नेता दो दिन में नेता प्रतिपक्ष घोषणा होने का दावा कर रह थे। वही सूत्र तो बताते है कि उत्तराखंड को लेकर जो भी घोषणा होगी वो अब 10 जुलाई के बाद ही होगी माना जा रहा है कि पंजाब में फसे पेच को निकालने के बाद उत्तराखंड को लेकर फैसला लेना का पार्टी को समय मिलेगा।

पार्टी सूत्रों के अनुसार अभी तक कांग्रेस जिस रणनीति पर काम कर रही थी, उसमें नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी गढ़वाल के किसी ठाकुर नेता को दिए जाने और प्रदेश अध्यक्ष के पद पर कुमाऊं से किसी ब्राह्मण चेहरे को लाने की थी, लेकिन सत्ता पक्ष ने कुमाऊं के साथ तराई और युवा चेहरे पर दांव लगाते हुए मुख्यमंत्री की कुर्सी पर पुष्कर सिंह धामी को बैठा दिया।

बहरहाल, प्रीतम सिंह ने यह भी बताया कि कांग्रेस 7 जुलाई को प्रदेश भर में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करेगी, जिसमें महगाई, रोज़गार, महिला सुरक्षा, भ्रष्टाचार आदि मुद्दों पर सरकार को घेरा जाएगा और 10 जुलाई को मुख्यमंत्री आवास की तरफ कूच करने का कार्यक्रम है.