सुप्रीम कोर्ट ने इस बीच चुनाव आयोग को निर्देश दिया है कि वो 4 सप्ताह के भीतर बताए कि उसके पास कितनी VVPAT से जुड़ी ईवीएम मशीनें है। गुजरात के एक कांग्रेस कार्यकर्ता की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने ऐसा निर्देश दिया है। याचिका ने कहा है कि चुनाव आयोग के पास पहले से VVPAT मशीनें हैं मगर आगामी गुजरात विधानसभा चुनाव में वे इनका इस्तेमाल नहीं करना चाहता।

कोर्ट ने चुनाव आयोग को जवाब देने का निर्देश देते हुए इस मामले को भी दूसरी याचिकाओं के साथ सुनवाई के लिए टैग कर दिया है। मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि पहले चुनाव आयोग मशीन न होने का हवाला देता था और अब कहता है कि उसे चलाने के लिए प्रशिक्षित लोग नहीं हैं।

ऐसे में चुनाव आयोग ने कोर्ट में कहा कि उसके पास मशीनें तो हैं लेकिन वह तकनीकी तौर पर चलने में अक्षम हैं। चुनाव आयोग के इस जवाब पर मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जे इस खेहर ने बोला कि आपकी बहस को सुनते हुए ऐसा लगता ही नहीं कि चुनाव आयोग इन मशीनों का इस्तेमाल करना चाहता है।मुख्य न्यायधीश की बेंच ने चुनाव आयोग को 4 हफ्ते के भीतर जवाब देने का निर्देश जारी किया।

वहीं केंद्र सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि सरकार ने मशीनों की खरीद के लिए साढ़े 3 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।अटॉर्नी जनरल ने कोर्ट में 24 अप्रैल को एक मामले में कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि सरकार ने 3173.43 लाख रुपये की लागत से 16 लाख 15 हजार VVPAT मशीनें खरीदी है।

गौरतलब है कि गुजरात के एक कांग्रेस कार्यकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाकर कहा है कि चुनाव आयोग के पास VVPAT मशीनें हैं लेकिन वे इन्हें आगामी विधान सभा चुनाव में इस्तेमाल नहीं करना चाहते हैं। उनके अनुसार चुनाव आयोग के पास 87 हजार मशीनें हैं और राज्य में होने वाले चुनाव के लिए सिर्फ 71 हजार मशीनें ही चाहिए।