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आज के टाइम में व्‍हाट्सएप हर किसी की जरूरत बना हुआ है। युवा पीढ़ी को इसके बिना एक पल नहीं रह सकती पर अगर सरकार इसपर भी टैक्स लग जाएगा तो क्या होगी। शायद सरकार के इस एक फैसले से हाहाकार मच जाएगा। एेसा कहना कोई सपना नहीं बल्कि ये सच हो चुका है। ईस्‍ट अफ्रीका का देश युगांडा जहां पर प्रति व्‍यक्ति आय 666.10 अमेरिकी डॉलर है, वहां के नागरिकों को जुलाई से सोशल मीडिया टैक्‍स भी देना होगा।

युगांडा की संसद ने गुरुवार को सोशल मीडिया टैक्‍स को पास करके इसे जरूरी बना दिया है। सोशल मीडिया टैक्‍स के जरिए रोजाना नागरिकों को 200 शिलिंग्‍स यानी पांच अमेरिकी सेंट्स की रकम अदा करनी होगी। यह टैक्‍स व्‍हाट्सएप, फेसबुक, ट्विटर और इस तरह के सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म को प्रयोग करने वालों के लिए लाया गया है। अगर भारतीय रुपयों में बात करें तो यह 3.75 पैसे है।

टैक्‍स का मकसद गॉसिप को रोकना
इस टैक्‍स का मकसद सोशल मीडिया के जरिए फैलने वाली गॉसिप पर रोक लगाना है। हालांकि कुछ लोग इसे युगांडा में बोलने की आजादी पर लगाया गया नियंत्रण करार दे रहे हैं। राष्‍ट्रपति ने किया समर्थन साल 2016 में टेड्रिंग इकोनॉमिक्‍स की ओर से आई एक रिपोर्ट के मुताबिक युगांडा की प्रति व्‍यक्ति आया 666.10 अमेरिकी डॉलर है। इस आय पर लोगों का जीना रहना दूभर हो गया है ऐसे में जो टैक्‍स लगाया गया है उसे अमानवीय करार दिया जा रहा है।
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युगांडा के राष्‍ट्रपति योवेरी मुसेवेनी ने संसद की ओर से पास इस नए बिल का समर्थन किया है। उनका मानना है कि सोशल मीडिया लोगों को गॉसिप के लिए उकसाता है। नया कानून एक जुलाई से लागू होगा। लेकिन अभी तक सह साफ नहीं हो सका है कि सरकार किस तरह से लोगों पर नजर रखेगी और टैक्‍स का कलेक्‍शन करेगी।

साल 2016 में जब राष्‍ट्रपति मुसेवेनी चुनावों के लिए मैदान में थे तो उन्‍होंने सोशल मीडिया के एक्‍सेस को ही सस्‍पेंड करा दिया था। अब यह बिल इस देश में सोशल मीडिया के प्रयोग को नियमों के दायरे में लाने का नया और अजीब तरीका करार दिया जा रहा है। इस नए नियम को राजनीतिक मंशा से भी जोड़कर देखा जा रहा है। हालांकि युगांडा के अलावा पापुआ न्‍यू गिनी जैसे देशों ने भी हाल ही में सोशल मीडिया पर कड़े नियम लगाने का ऐलान किया गया है।