भारत कभी दुनिया का सबसे अमीर देश हुआ करता था। यही वजह है कि इसे ‘सोने की चिड़िया’ कहा जाता था। भारत को तमाम आताताइयों ने लूटा और बाकी बची कसर अंग्रेजों ने पूरी करने की कोशिश की। फिर भी भारत में ऐसी कई जगहें हैं, जहां छिपे हुए खजानों का अंबार है। कहा जाता है कि ये खजाने जीवधारी हैं और उनके पास तक कोई नहीं भटक सकता। खबरें24 ऐसे ही खजानों के बारे में बता रहा है।

1.) नादिर शाह का खजाना:
ईरानी आक्रमणकारी नादिर शाह ने 1739 में भारत पर हमला किया और 50,000 सैनिकों के साथ दिल्ली में घुसा। भारी लूटपाट के साथ नादिर शाह ने 20,000-30,000 लोगों का नरसंहार भी किया। कहा जाता है कि लूट इतनी बड़ी थी कि वापस जाते समय उसका खेमा 150 मील लंबा था। नादिर शाह ने करोड़ों सोने के सिक्के, हीरे-जवाहरात से भरी बोरियाँ, पाक तख्त-ए-तौर (जो अब ईरान में हैं) और विख्यात कोहीनूर हीरा लूटा जो अब ब्रिटिश राजमुकुट में हैं।

2.) श्री मोक्कमबिका मंदिर, कर्नाटक:
ये मंदिर कर्नाटक के पश्चिमी घाट के कोल्लूर के नीचे की तरफ है। इस मंदिर की सालाना आय 17 करोड़ है। मंदिर के पुजारियों के अनुसार ‘नाग’ का चिन्ह होने के कारण मंदिर के नीचे बहुत बड़ा खजाना है। ये ‘नाग’ मंदिर को बाहरी ताकतों से बचाता है। अगर खजाने को छोड़ भी दें, तो भी मंदिर में 100 करोड़ रुपए के गहने हैं।

3.) मीर उस्मान अली का खजाना, हैदराबाद: मीर अली उस्मान हैदारबाद के आखरी निजाम थे। उन्होंने इंग्लैंड के बराबर राज्य पर हुकुमत की। 2008 में फोर्ब्स मैगजीन ने उन्हें 210 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ दुनिया के सर्वकालिक सबसे धनी लोगों में पाँचवे पायदान पर रखा। कहा जाता है कि उनका खजाना कोठी महल, हैदराबाद के नीचे गड़ा हुआ है, जहां उन्होंने अपनी अधिकतर जिंदगी बिताई। हालांकि, उनकी संपत्ति का असल हिसाब या आंकलन किसी के पास नहीं।

4.) अलवर का मुगल खजाना, राजस्थान: अलवर का किला दिल्ली से 150 किलोमीटर दूर, अलवर राजस्थान में स्थित है। लोककथा के मुताबिक, मुगल राजा जहांगीर ने अपने निर्वासन के समय यहां शरण ली थी और अपना खजाना यहीं छुपाया था। कहा जाता है कि खजाना का बहुत बड़ा हिस्सा अब भी किले में ही छुपा है। मुगल साम्राज्य से पहले भी अलवर का राज्य बेहद संपन्न था। यहां के कप पन्ने से बनाएं जाते थे।

5.) चारमीनार सुरंग, हैदराबाद:
माना जाता है कि चारमीनार और गोलकुंडा को जोड़ना वाली सुरंग में बहुत बड़ा खजाना छुपा है। कहानियों के मुताबिक इस सुरंग का निर्माण सुल्तान मोहम्मद कुली कुतुब शाह ने शाही परिवार के लिए करवाया था, जिससे कि जरूरत पड़ने पर वो किले से चारमीनार आसानी से जा सकें। 1936 में निजाम मीर उस्मान अली को एक रिपोर्ट भी दी गई मगर उन्होंने इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया। माना जाता है कि आज भी सुरंग में खजाना मौजूद है।