Maa Gauri

नवरात्रि की अष्टमी तिथि को आठ वर्ष की कन्या की पूजा करें। उसके चरण धुलाकर भोजन करवाएं। फिर उपहार देकर आशीर्वाद लें। आपकी गौरी पूजा संपन्न होगी।

कौन हैं मां गौरी और क्या है इनका महत्व-
नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा का विधान है। भगवान शिव की प्राप्ति के लिए इन्होंने कठोर पूजा की थी, जिससे इनका शरीर काला पड़ गया था। जब भगवान शिव ने इनको दर्शन दिया, तब उनकी कृपा से इनका शरीर अत्यंत गौर हो गया और इनका नाम गौरी हो गया।

माना जाता है कि माता सीता ने श्री राम की प्राप्ति के लिए इन्हीं की पूजा की थी। मां गौरी श्वेत वर्ण की हैं और श्वेत रंग में इनका ध्यान करना अत्यंत लाभकारी होता है।

विवाह सम्बन्धी तमाम बाधाओं के निवारण में इनकी पूजा अचूक होती है। ज्योतिष में इनका सम्बन्ध शुक्र नामक ग्रह से माना जाता है। इस बार माता गौरी की पूजा 28 सितम्बर को की जाएगी।

क्या है मां गौरी की पूजा विधि-
– पीले वस्त्र धारण करके पूजा आरम्भ करें। मां के समक्ष दीपक जलाएं और उनका ध्यान करें।

– पूजा में मां को श्वेत या पीले फूल अर्पित करें। उसके बाद इनके मन्त्रों का जाप करें।

– यदि पूजा मध्य रात्रि में की जाय तो इसके परिणाम ज्यादा शुभ होंगे।

– किस प्रकार मां गौरी की पूजा से करें शुक्र को मजबूत।

– मां की उपासना सफेद वस्त्र धारण करके करें। मां को सफेद फूल और सफेद मिठाई अर्पित करें।

– इसके साथ में मां को इत्र भी अर्पित करें।

– पहले मां के मंत्र का जाप करें। फिर शुक्र के मूल मंत्र “ॐ शुं शुक्राय नमः” का जाप करें।

– मां को अर्पित किया हुआ इत्र अपने पास रख लें और उसका प्रयोग करते रहें।

– अष्टमी तिथि के दिन कन्याओं को भोजन कराने की परंपरा है, इसका महत्व और नियम क्या है।

– नवरात्रि केवल व्रत और उपवास का पर्व नहीं है। यह नारी शक्ति के और कन्याओं के सम्मान का भी पर्व है। इसलिए नवरात्रि में कुंवारी कन्याओं को पूजने और भोजन कराने की परंपरा भी है।

हालांकि नवरात्रि में हर दिन कन्याओं के पूजा की परंपरा है, मगर अष्टमी और नवमी को अवश्य ही पूजा की जाती है। 2 वर्ष से लेकर 11 वर्ष तक की कन्या की पूजा का विधान किया गया है। अलग-अलग उम्र की कन्या देवी के अलग अलग रूप को बताती हैं।

यदि जरूरत के समय धन नहीं रहता, तो करें ये उपाय-

– मां गौरी को दूध की कटोरी में रखकर चांदी का सिक्का अर्पित करें।

– इसके बाद मां गौरी से धन के बने रहने की प्रार्थना करें।

– सिक्के को धोकर सदैव के लिए अपने पास रख लें।