चार बार विधायक व एक बार राज्यसभा सदस्य रहे हरेंद्र मलिक ने करीब 20 साल बाद एक बार फिर लखनऊ में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के समक्ष समाजवादी पार्टी में वापसी की है। उनके साथ दो बार के पूर्व विधायक पंकज मलिक, चरथावल के पूर्व ब्लॉक प्रमुख जिल्ले हैदर समेत काफी संख्या में जिले के कांग्रेसियों ने पार्टी छोड़कर सपा की सदस्यता ली। पार्टी में शामिल होने के अवसर पर हरेंद्र मलिक ने अपने संबोधन में कांग्रेस को बंजर और सपा को उपजाऊ भूमि की उपमा दी।

हरेंद्र मलिक ने अपना राजनैतिक जीवन चौधरी चरण सिंह की पार्टी लोकदल से शुरू किया था। वह 1885 में खतौली विधानसभा सीट से लोकदल के टिकट पर पहली बार विधायक चुने गए थे। इसके बाद वह लगातार तीन बार 1989, 1991 व 1993 में लोकदल टिकट से बघरा विधानसभा सीट से विधायक रहे। 1996 का चुनाव हारने के बाद उन्होंने लोकदल छोड़कर समाजवादी पार्टी की सदस्यता ले ली थी। मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में सपा टिकट पर वह 1998 और 1999 में लोकसभा का चुनाव मुजफ्फरनगर सीट से लड़ चुके हैं, लेकिन एक बार वह भाजपा के सोहनबीर सिंह से और एक बार कांग्रेस के सईदुज्जमां से हार गए थे। इसके बाद वेस्ट की राजनीति में सक्रिय होने का प्रयास कर रहे हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला ने हरेंद्र मलिक को इंडियन नेशनल लोकदल में शामिल कर अपनी पार्टी का यूपी का अध्यक्ष बनाया।

2002 में उन्हें हरियाणा विधानसभा से राज्यसभा में भेज दिया गया। हालांकि उन्होंने 2004 में इनेलो को छोड़कर कांग्रेस का दाम थाम लिया था। तब से वह कांग्रेस में ही थे। हरेंद्र मलिक ने 2009 में कांग्रेस के टिकट पर मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन वह चौथे स्थान पर रहे थे। हरेंद्र मलिक ने 2004 में अपने पुत्र पंकज मलिक को बघरा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ाया, लेकिन वह लोकदल के परमजीत मलिक से चुनाव हार गए थे। इसके बाद पंकज मलिक ने 2007 में कांग्रेस के टिकट पर बघरा विधानसभा सीट पर जीत दर्ज की। हरेंद्र शामली जिला बनने के बाद पंकज मलिक ने शामली विधानसभा सीट से 2012 में कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ा और विजयी रहे। वह 2013 में मुजफ्फरनगर में हुए दंगे के समय कांग्रेस के ही विधायक थे। 2017 में पंकज मलिक शामली से चुनाव हार गए थे। पंकज मलिक को राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की वेस्ट यूपी में कोर टीम का सदस्य माना जाता था। अब उन्होंने पहली बार समाजवादी पार्टी का दामन थामा है।