देहरादून, 31 अगस्त 2021

छह महीने बाद उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव होने हैं और इसे लेकर राज्य में सभी सियासी दल कमर कसकर तैयार दिख रहे हैं. कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा और भाजपा की जन आशीर्वाद यात्रा की सरगर्मियों के बीच आम आदमी पार्टी भी पीछे नहीं रहना चाहती. आप ने बड़ा वादा करते हुए कहा कि उत्तराखंड में अगर आम आदमी पार्टी की सरकार बनी, तो राज्य में विवादों में घिरे चार धाम देवस्थानम् बोर्ड को खत्म कर दिया जाएगा. भाजपा सरकार में 2019 में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में बने इस कानून का विरोध पुरोहित समुदाय लगातार कर रहा है.

पिछले दिनों दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के उत्तराखंड दौरे के बाद राज्य में मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर प्रोजेक्ट किए गए रिटायर कर्नल अजय कोठियाल ने कहा है कि अगर उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी सत्ता में आएगी, तो चार धाम बोर्ड को भंग कर दिया जाएगा, जिसकी मांग लगातार की जा रही है. यही नहीं, खबरों के अनुसार आप ने यह वादा भी किया कि दुनिया भर के हिंदुओं के लिए उत्तराखंड को ‘आध्यात्मिक केंद्र’ के रूप में विकसित किया जाएगा.

‘आप’ का हिन्दुत्व का एजेंडा
बीजेपी का मुकाबला करने के लिए आम आदमी पार्टी पिछले करीब डेढ़ साल से अपनी तरह का हिंदुत्व एजेंडा सामने रख रही है. दिल्ली के विधानसभा चुनाव 2020 से कुछ ही पहले केजरीवाल ने खुद को हनुमान भक्त बताकर हनुमान मंदिर जाने की तस्वीरें आदि भी जारी की थीं. ‘देशभक्ति पाठ्यक्रम’ के साथ ही अयोध्या में बन रहे राम मंदिर को वरिष्ठ नागरिकों की तीर्थयात्रा पैकेज में शामिल करने की घोषणाएं भी की थीं. फिलहाल उत्तर प्रदेश में तिरंगा यात्रा कर रही आम आदमी पार्टी देवभूमि कहे जाने वाले उत्तराखंड में हिंदुत्व को मुद्दा बनाती दिख रही है.

फ्री हेल्थ सेवाओं का वादा भी
‘अस्पताल पहुंचने से पहले ही मरीज़ दम तोड़ देते हैं, उत्तराखंड में स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली का आलम यह है. 2018-19 में उत्तराखंड में हेल्थ बज 188 करोड़ था जबकि 2019-20 में यह सिमटकर 97 करोड़ रह गया और एक साल में सिर्फ 5.25 पैसे प्रति मरीज़ खर्च किया गया.’ सोमवार को आप के प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने यह कहते हुए घोषणा की थी कि राज्य में सरकार बनी तो पार्टी बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं निशुल्क देगी. उन्होंने यह भी कहा था कि मौजूदा सरकार के समय में हिमालयीन राज्यों में सबसे खराब स्वास्थ्य सेवाएं उत्तराखंड में ही हैं.