विधानसभा बैकडोर भर्ती पर स्पीकक ऋतु खंडूड़ी ने सख्ती दिखाते हुए कहा कि भर्तियां निरस्त की जाएंगी। बताया कि पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल और प्रेमचंद अग्रवाल के कार्यकाल के समय की गईं भर्तियों को निरस्त करने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि भर्तियों को निरस्तर करने के लिए उत्तराखंड सरकार को प्रस्ताव भेजा जाएगा।

शुक्रवार को विधानसभा में आयोजित पत्रकार वार्ता में खंडूड़ी ने बताया कि जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें भर्तियों में कई अनियमिताओं को उजागर किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है क कि भर्तियों के लिए किसी भी चयन समिति का गठन नहीं किया गया। भर्तियों के लिए न ही कोई विज्ञापन निकाला और न ही कोई सार्वजनिक सूचा प्रकाशित की गई।

समिति का कहना कि व्यक्तिगत आवेदन पर नियुक्तियां कर दी गईं। बताया कि 2016 में 150, 2020 में छह और 2021 की 72 भर्तियों को निरस्त करने का प्रस्ताव तत्काल सरकार को भेजा जा रहा है। बताया कि अनुमोदन प्राप्त होते ही सभी नियुक्तियां तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दी जाएंगी। उपनल द्वारा की गईं 22 भर्तियों को भी निरस्त कर दिया जाएगा।

इसके साथ ही, विधानसभा में 32 पदों के लिए मार्च में आयोजित भर्ती परीक्षा को भी निरस्त कर दिया गया है। भर्ती परीक्षा कराने वाली एजेंसी जांच के दायरे में है और इस भर्ती परीक्षा का अभी तक रिजल्ट घोषित नहीं किया गया है। खंडूड़ी ने बताया कि भर्ती परीक्षा में विधानसभा सचिव मुकेश सिंघल की भूमिका भी संदिग्घ है और उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित भी किया गया है।

उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) पेपर लीक के साथ ही विधानसभा बैकडोर भर्ती पर भाजपा सरकार की जमकर किरकिरी हो रही थी। सीएम धामी के हामी के बाद स्पीकर खंडूड़ी ने भर्तियों की निष्पक्ष जांच के लिए जांच कमेटी भी गठित की थी।बैकडोर भर्ती पर विपक्षी कांग्रेस भाजपा सरकार पर हमलावर हुई थी, लेकिन जब कांग्रेस के पूर्व विस स्पीकर कुंजवाल के कार्यकाल में भी भर्ती सामने आई तो कांग्रेस बैकफुट पर आ गई थी।

फैसला आते ही फुट गए कर्मचारियों के आंसू
2016 के बाद नियुक्त सभी कमर्चारियों की नियुक्ति निरस्त किए जाने का फैसला सामने आते ही प्रभावित कर्मचारियों ने विरोध शुरू कर दिया है। विरोध की कमान महिला कर्मचारियों ने सम्भाली है। महिला कर्मचारियों ने तत्काल विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी के कार्यालय के बाहर जमा होकर विरोध दर्ज करना शुरु कर दिया है।

कई महिलाएं इस दौरान रो रही हैं। उन्होंने 2016, 2020 और 2021 के कमर्चारियों को टारगेट किए जाने का आरोप लगाया। उन्होंने राज्य गठन के समय से नियुक्त सभी कर्मचारियों के लिए एक मानक रखने की मांग की है। इस वक्त विधानसभा में गहमागहमी तेज हो गई है।