myanmar-bangladesh border

कोलकाता : म्यांमार से पलायन कर भारत और बांग्लादेश के लिए संकट बने रोहिंग्या मुस्लिमों को रोकने के लिए भारत ने एक ठोस कदम उठाया है। भारत ने म्यांमार और बांग्लादेश की सीमा पर अवैध घुसपैठ को रोकने के लिए सीआरपीएफ और बीएसफ के जवानों की अतिरिक्त तैनाती कर दी है। इसके साथ आइजल व अगरतला में असम राइफल्स व सीमा सुरक्षा बल के जवानों की भी तैनाती कर दी गयी है।

भारत ने रोहिंग्या मुस्लिमों को देश में अवैध तरीके से घुसने से रोकने के लिए ठोस कदम उठाया है। यहां म्यांमार के साथ भारत के चार राज्यों की खुली सीमा देश के लिए संकट बनी हुई है। पूर्वोत्तर में चार राज्य अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड जैसे राज्यों की सैकड़ों किलोमीटर की लंबी सीमा खुली हुई है।

ऐसे में इन जगहों से रोहिंग्या मुस्लिम भारत में आसानी से प्रवेश कर सकते हैं। इस 1643 किलोमीटर की बिना घेराबंदी की सीमा पर 16 किलोमीटर भूभाग फ्री जोन है, जिसमें दोनों तरफ आठ-आठ किलोमीटर की सीमाएं शामिल हैं।

असम राइफल्स के पुलिस महानिरीक्षक मेजर जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने बताया है कि सीमांत इलाकों की सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतेजाम करने के लिए भारत-म्यांमार सीमा पर असम राइफल्स की आठ कंपनियों को तैनात कर दिया गया है।

23 सेक्टर असम राइफल्स के उप महानिरीक्षक ब्रिगेडियर एमएस मोखा ने कहा कि, ‘मिजोरम में अब तक रोहिंग्या मुस्लमानों की उपस्थिति की कोई सूचना नहीं हासिल हुई है।’ अधिकारियों ने कहा कि, ‘भारत-म्यांमार की अधिकतर सीमा खुली हुई है।’

ऐसे में जवानों को हमेशा चौकन्ना रहना होगा। इन राज्यों की खुली सीमा से रोहिंग्या ही नहीं, बल्कि तस्कर भी एक बड़ी समस्या बने हुए हैं। देश में रोहिंग्या मुस्लिमों को कानूनी रूप से उन्हें उनके देश वापस भेजने की चर्चा चल रही है। ऐसे में सेना को किसी भी घुसपैठ को रोकने के निर्देश दिये गये हैं।

रोहिंग्या मुस्लिमों पर तल्ख हुई प्रदेश की राजनीति-
रोहिंग्या मुस्लिमों की हालत पर चिंता जताते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को आधिकारिक रूप से पहली बार अपने विचार रखे हैं। अपने ट्वीट में उन्होंने इनकी की हालत पर चिंता जतायी। उधर, भाजपा सांसद रूपा गांगुली ने कहा कि मानवता की दुहाई देने वालीं सीएम को पहले बंगाल में विरोधी दलों के कार्यकर्ताओं पर हो रहे हमले पर ध्यान देना चाहिए।

ममता बनर्जी ने ट्वीट कर कहा कि, ‘मैं संयुक्त राष्ट्रसंघ के विचार से पूरी तरह सहमत हूं। मैं यह मानती हूं कि सभी रोहिंग्या आतंकवादी नहीं हैं। उनकी हालत वाकई चिंताजनक है। उन्हें मदद की तत्काल जरूरत है।’

तृणमूल के मंत्री रोहिंग्या मुसलमानों को भारत में शरण देने की बात करते हैं। इन्हें शायद पता नहीं है कि यह मामला केंद्र सरकार के अधीन आता है। यदि ममता बनर्जी को मानवता की इतनी ही चिंता लगी हुई है, तो वो अपने राज्य में विरोधी दलों के कार्यकर्ताओं पर हो रहे हमले को बंद करवाएं।