यूक्रेन युद्ध के बीच रूस पर ढेरों प्रतिबंध लगाने के बाद अमेरिका अब चीन पर भी लगाम कसने जा रहा है। अमेरिकी अधिकारियों और सूत्रों के हवाले से सामने आया है कि अमेरिका ने अपने सहयोगी देशों के साथ इस मुद्दे पर बात की है। अगर चीन यूक्रेन युद्ध में रूस को सैन्य सहायता भेजता है तो अमेरिका इन प्रतिबंधों को लागू कर सकता है।

खबर है कि अमेरिका ने इन प्रतिंबधों के लिए अपने सहयोगी जी7 देशों से बात की है। हालांकि, यह वार्ता अभी प्रारंभिक चरण में है और इसका खुलासा नहीं किया गया है कि व्हाइट हाउस किन विशिष्ट प्रतिबंधों की पहल करेगा।

अमेरिका ने चीन को दी है चेतावनी
बता दें, अमेरिकी एजेंसियों और अन्य सहयोगियों का दावा है कि चीन, रूस को हथियार व सैन्य मदद पहुंचाने पर विचार कर रहा है। हालांकि, बीजिंग इस आरोप को बार-बार नकार रहा है। दूसरी तरफ अमेरिका ने चीन को ऐसा करने पर सीधे प्रतिबंध की चेतावनी दी है।

चीन ने पेश किया प्रस्ताव
रूस-यूक्रेन युद्ध के एक साल होने पर चीन ने एक 12-सूत्रीय शांति प्रस्ताव जारी किया था। इसे जर्मनी के म्यूनिख में आयोजित सुरक्षा सम्मेलन में पेश किया गया। ‘यूक्रेन संकट के राजनीतिक समाधान पर चीन की स्थिति’ शीर्षक वाले इस शांति प्रस्ताव में 12 बिंदु हैं। सबसे अहम बिंदु के रूप में इसमें युद्धविराम, शांति वार्ता और रूस के खिलाफ प्रतिबंधों को खत्म करने को कहा गया है। प्रस्ताव के माध्यम से चीन ने रूस पर प्रतिबंध लगाने वाले देशों से कहा है कि इनको एकतरफा प्रतिबंधों का दुरुपयोग बंद करना चाहिए और रूस-यूक्रेन संकट को कम करने में अपनी भूमिका निभानी चाहिए। रूस या यूक्रेन का उल्लेख किए बिना कहा गया कि सभी देशों की संप्रभुता को बरकरार रखा जाना चाहिए। अन्य बिंदुओं में संघर्ष विराम, शांति वार्ता, युद्ध के कैदियों के लिए सुरक्षा और नागरिकों पर हमलों को रोकने के साथ-साथ परमाणु ऊर्जा संयंत्रों को सुरक्षित रखने और अनाज निर्यात को सुविधाजनक बनाने के लिए कहा गया है।

प्रस्ताव पर अमेरिका का रुख
अमेरिकी अधिकारियों और कुछ विश्लेषकों ने इस प्रस्ताव की आलोचना भी की है। म्यूनिख बैठक में, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने प्रस्ताव जारी होने से पहले चीन की स्थिति के बारे में संदेह व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि चीन द्वारा दी गई गैर-घातक सहायता रूस के युद्ध के प्रयासों का समर्थन करती है। हालांकि, चीन ने आरोप को गलत बताया और कहा कि इसमें सबूतों की कमी है। उधर अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने प्रस्ताव की अधिकांश सामग्री को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, ‘मेरी पहली प्रतिक्रिया यह है कि युद्ध एक बिंदु पर रुक सकता है जब सभी देशों की संप्रभुता का सम्मान किया जाए।’