Paavan Chintan Dhara, Shriguru Pawanji, Bharat Parv, Shri Krishna- Untold Secrets

ग़ाज़ियाबाद, ब्रहस्पतिवार गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या को पावन चिंतन धारा आश्रम द्वारा लोहिया नगर स्थित हिंदी भवन में भारत उत्सव का आयोजन किया गया. आयोजन में विख्यात आध्यात्मिक शिक्षक श्रीगुरु पवन सिन्हा जी द्वारा ‘श्री कृष्ण रहस्य’ विषय पर चर्चा की गयी.

श्रीगुरु पवन जी ने कहा कि श्री कृष्ण गणराज्य  के पुनर्स्थापक थे| परंतु हम श्री कृष्ण के केवल रसिक रूप की रचना व व्याख्या करने में इतने खोये रहते हैं कि श्रीकृष्ण का इस देश के प्रति वास्तविक योगदान हम भूल चुके हैं| श्रीकृष्ण \ की आयु 126 वर्ष के लगभग की रही परंतु हम भारतीयों ने या तो उनके जीवन के प्रथम 11 (ग्यारह) वर्ष का ही अवलोकन किया या फिर उन्हें गीता उपदेश के रूप में ही देखा| इसके अतिरिक्त मानवता, राजतन्त्र, राजनीति, युद्धनीति तथा मानवता के प्रति उनकी कुशलताएं हम देख ही नहीं पाये|

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श्रीगुरु पवन जी ने कहा कि श्रीकृष्ण ने गौवंश के लिए भी बहुत काम किया| उन्होंने कृषि, पर्यावरण तथा आयुर्वेद के भी अनेक सूत्र मानव जाति को दिये| श्रीकृष्ण का जीवन बहुत ही कठिन जीवन था और उनके संघर्ष की गाथा उनके जन्म के पूर्व ही रच ली गई थी|

उन्होंने बताया कि श्री कृष्ण के जीवन में कोई राधा थी ही नहीं| पूरे श्रीमदभागवत में भी कहीं राधा नाम ही नहीं है| आज की आवश्यकता के अनुसार राधा-कृष्ण के प्रेम की चर्चा कम करके श्रीकृष्ण के प्रभावशाली व्यक्तित्व की चर्चा अधिक होनी चाहिए क्योंकि आज का भारत युवाओं का देश है और श्रीकृष्ण का व्यक्तित्व युवाओं के लिए एक महान प्रेरणा बन सकता है| श्री कृष्ण मानवतावादी, सत्यप्रिय तथा धर्म की स्थापना करने वाले व्यक्तित्व थे। वे  तीक्ष्ण बुद्धि, सरल तथा सौम्य व्यवहार और अत्यन्त बलिष्ठ देह के स्वामी थे|

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कार्यक्रम के अंत में सभी उपस्थित अथिथियों ने श्रीगुरुजी के साथ माँ भारती की दिव्य महाआरती की| आयोजन में गाज़ियाबाद की महापौर श्रीमती आशा शर्मा जी, श्री आशु गुप्ता, श्री टी.पी. त्यागी जी, डॉ. हरविलास गुप्ता जी, श्री एन. एल. मित्तल जी, श्री मयंक गोयल जी, श्री प्रशांत पटेल जी, श्री आशु वर्मा जी अतिथि के रूप में उपस्थित थे|

कार्यक्रम में आश्रम परिवार के सदस्यों के साथ-साथ सर्वश्री दिनेश गोयल, ललित जायसवाल, आशु बिंदल, योगेश गर्ग, निरंजन लाल, सौरभ जायसवाल, अम्बरीश चौहान, सुनील महाजन, वेंकट सिरोही तथा श्रीमती सुषमा शर्मा ने विशेष योगदान दिया|