गुरुकुलों

माता पिता के बाद गुरु को जीवन में विशेष स्थान दिया गया है। माता पिता बालक को जीवन देते हैं और जो गुरु होता है उसे जीवन जीना सिखाता है। गुरु के इसी महत्व को मानते हुए हिन्दु मान्यताओं में गुरु पूर्णिमा पर्व मनाने का विधान है।

हिन्दू पंचांग के मुताबिक आषाढ़ के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को ‘गुरुपूर्णिमा’ कहते हैं। इस पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं। पूरे भारत में यह त्योहार श्रृद्धा के साथ मनाया जाता है। इस बार गुरु पूर्णिमा 9 जुलाई (रविवार को) को है। इस दिन गंगा या किसी अन्य नदी में स्नान करने के बाद पूजा करने का विधिविधान होता है। खासतौर से गुरु की पूजा को विशेष महत्व दिया गया है। गुरु पूर्णिमा के दिन बहुत से लोग अपने गुरु के लिए व्रत भी रखते हैं।

कहा जाता है कि प्राचीन काल में गुरुकुलों में जब विद्यार्थी निःशुल्क शिक्षा ग्रहण करता तो गुरु पूर्णिमा के दिन ही वह श्रद्धा भाव से अपनी सामर्थ्यानुसार गुरु को दक्षिणा देकर उनका पूजन करता था। उसके बाद ही उन्हें धर्म ग्रन्थ, वेद, शास्त्र तथा अन्य विद्याओं की जानकारी और शिक्षण का प्रशिक्षण दिया जाता। गुरु को समर्पित इस पर्व से शिक्षा लेते हुए हम सभी को अपने गुरुओं के प्रति ह्रदय से श्रद्धा रखनी चाहिए।