uttar pradesh, Khanan Mafia, Fatehpur

फ़तेहपुर, फ़तेहपुर में ही क्या पूरे यूपी में खनन विभाग सरकार का पर्स कहा जाता है इसका यह कारण नहीं कि ये विषय प्राकृतिक संपदा से जुड़ा है बल्कि जब जितना चाहो अवैध खनन से कमाने की गारंटी है।

आपको बता दें इन दिनों फतेहपुर में खनन माफिया के लिये यमुना का किनारा तीर्थ स्थल बन गया है कहीं न कहीं जनपद में प्रशासन, पुलिस व खनन विभाग की मिलीभगत से खनन माफिया लाखों टन मोरम निकाले जा रहे हैं, ये ऐसे ही नहीं है आखिर कौन है जो इसका हिस्सा नहीं लेता है, अवैध खनन के कारोबार में पुलिस से लेकर ग्राम प्रधान तक प्रति ट्रक व ट्राली के हिसाब से वसूली करते हैं।

इनमें से सबसे बड़ा हिस्सा माइनिंग इंस्पेक्टर का होता है, लेखपाल, कानूनगो, तहसीलदार से लेकर सभी जिम्मेदारों की सहमति और अवैध खनन मे भागीदारी किसी से छिपी नहीं है, ये पूरी तरह से सत्ता के बड़े दिग्गजों के संरक्षण में होता है प्रशासनिक अधिकारी भी इसमें पर्दे के पीछे से सहयोगी रहते हैं,पीछे राजनीतिक वरदहस्त होने से शिकायतों पर भी निगरानी कार्य नहीं होता। विरोध करने पर ये माफ़िया नुक़सान पहुँचाने में भी देर नहीं करते, इन दिनों फ़तेहपुर में भी एक स्थान ऐरई घाट आमजन में चर्चा का विषय बना हुआ है, जहाँ लाखों टन मोरम वैध की आंड में अवैध तरीके से निकाली जा रही है।⭐

माफ़िया के गुर्गों ने 5 किलोमीटर के एरिया को किया छावनी में तब्दील

फ़तेहपुर का ऐरई घाट इन दिनों क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है। धाता थाना क्षेत्र में पड़ने वाले इस घाट के आस पास के गाँवो में माफ़िया का कड़ा पहरा रहता है। यहां बाहरी कोई भी ब्यक्ति घूमते पाया जाये तो माफ़िया के गुर्गों द्वारा कब्जे में ले लिया जाता है, असल में यहां इन दिनों कानून का नहीं माफ़िया का राज चलता है।

दामपुर गांव के ही एक सम्मानित ब्यक्ति ने अपना नाम न छापे जाने की स्थिति में बताया कि इससे पहले भी लोग यहां मोरम घाट चलाते थे थोड़ा बहुत अवैध जगह में खनन तो सभी करते थे लेकिन पहली बार ऐसा हुआ है कि यहां लगभग पांच किलोमीटर के एरिये में किसी को घुसने नहीं दिया जाता है। माफ़िया गोरखपुर का होने की वजह से बात-बात में उसके गुर्गे सीधे मुख्यमंत्री की धौंस दिखाते हैं, जिसकी वजह से लोग भयभीत रहते हैं।

हालांकि इस गोरखधंधे के बारे में जनपद के सभी जिम्मेदार अधिकारियों को अवगत कराया गया है जो इस बारे में बचते नज़र आये, जनपद से कार्यवाही न होने पर मजबूरन इसकी जानकारी प्रमुख सचिव खनन आर पी सिंह को दी गयी जिन्होंने लखनऊ से टीम भेजकर जांच करवाने की बात कही है।