Rajasthan

जालंधर, छोटे मोदी द्वारा पंजाब नेशनल बैंक में 11,000 करोड़ रुपए के महाघोटाले को लेकर गैर-भाजपा दल कांग्रेस पार्टी से खासे खफा हैं कि कांग्रेस ने जहां केंद्र की मोदी सरकार व भाजपा पर हमलावर रुख अपनाने की बजाय नर्म रुख अख्तियार किया वहीं कांग्रेस इस महाघोटाले पर भाजपा विरोधी ताकतों को जमीनी स्तर पर एकजुट करने में भी पूरी तरह से नाकाम साबित हुई है।

विपक्ष के नेताओं का मानना है कि कांग्रेस को उन्हें साथ लेकर पी.एन.बी. घोटाले के खिलाफ एक जोरदार जन-आंदोलन शुरू करना चाहिए। इस महाघोटाले को लेकर विपक्ष बेशक मोदी सरकार और भाजपा पर लगातार हमले कर रहे हैं परंतु ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी का नेतृत्व केवल बाइट्स व ट्वीट्स करके विरोध जताने तक ही सीमित होकर रह गया है।

सूत्रों के अनुसार कुछ वरिष्ठ नेताओं ने भी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात कर जमीनी स्तर पर सरकार को घेरने के लिए मजबूत व ठोस राजनीतिक कार्ययोजना में हुए विलंब पर अपनी नाराजगी जताई है।  उक्त नेताओं का कहना है कि कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने जमीनी स्तर पर समान विचारों वाली विपक्ष पार्टियों की सामूहिक ऊर्जा को जुटाने के लिए कुछ नहीं किया।

इसी संदर्भ में दिल्ली में विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने एक बैठक करके इस सारे प्रकरण पर अनौपचारिक सलाह-मशविरा किया।  इस बैठक में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के तारिक अनवर, जनता दल यूनाइटिड (जे.डी.यू.) के पूर्व नेता शरद यादव, माकपा के सीताराम येचुरी, भाकपा से डी. राजा मुख्यत: शामिल थे और राष्ट्रीय जनता दल, राष्ट्रीय लोकदल और झारखंड मुक्ति मोर्चा से संबंधित कुछ नेता भी शामिल हुए।
राहुल गांधी को इसकी भनक लगने पर ए.आई.सी.सी. के एक प्रतिनिधिमंडल ने मीटिंग में पहुंच कर उक्त नेताओं ने सामूहिक बैठक करने को कहा।

इस दौरान विपक्ष के नेताओं ने कहा कि पी.एन.बी. महाघोटाला भ्रष्टाचार का एक बड़ा मुद्दा है जिसको लेकर सभी विपक्षी दलों को एक साथ केंद्र सरकार पर हमला बोलना चाहिए। उपस्थित नेताओं ने कहा कि वह महसूस करते हैं कि कांग्रेस को बजट सैशन का इंतजार नहीं करना चाहिए। सैशन के दौरान सरकार पर हल्ला बोलते हुए पी.एन.बी. घोटाले की संयुक्त संसदीय समिति द्वारा जांच करवाने की मांग रखने की बजाय अभी से इस ज्वलंत मामले के खिलाफ एकजुट होकर देश भर में आवाज बुलंद की जाए।

एक नेता ने कहा कि कांग्रेस बिना किसी देरी के एक समान विचार वाली पार्टियों की अधिकतम भागीदारी करके मोदी सरकार को घेरने का एक्शन लेना चाहिए ताकि संसद सत्र शुरू होने से पूर्व केंद्र सरकार विरोधी
माहौल बनाया जा सके। एक अन्य नेता ने कहा कि लोगों तक राजनीतिक संदेश ले जाने के लिए सभी को एकजुट होना होगा। यू.पी.ए.-2 सरकार के दौरान बोफोर्स से लेकर 2-जी घोटालों की संयुक्त संसदीय समिति से जांच कराने के लिए उस दौरान के विपक्ष ने संसद के बाहर कई बड़े धरने दिए थे। एक अन्य नेता ने कहा कि सरकार इस मामले को दबाने के लिए काम कर रही है।

अब विपक्ष का काम है कि वह सरकार पर हमला बोलने के लिए एजैंडा बनाए।  विपक्षी नेताओं का कहना था कि देश का किसान हताश है और रिटेल एफ.डी.आई. लिमिट में वृद्धि हुई है परंतु कांग्रेस के धीमे हमले बोलने का रवैया बदल नहीं रहा है। विपक्षी नेताओं ने कहा कि यू.पी.ए.-1 व यू.पी.ए.-2 का नेतृत्व कांग्रेस ने किया था और अब भी अगर 2019 के चुनावों में भाजपा व मोदी सरकार को देश की सत्ता से खदेडऩा है तो ऐसा रवैया कतई नहीं चलेगा। गैर-भाजपा पार्टियों को एकजुट होकर पूरे आक्रमक रुख से मोदी सरकार की नाकामियों को लेकर जनता के बीच जाना होगा।