पंजाब के प्राइवेट कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्रों को तीन वर्ष की पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप जारी न करने के मामले में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए 25 मई तक कुल राशि का 40 प्रतिशत (433.6 करोड़) जमा करवाने का पंजाब सरकार को आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि तय अवधि में 1084 करोड़ की कुल राशि में से 40 फीसदी कॉलेजों को तय समय तक भुगतान न किया गया तो मुख्य सचिव को खुद कोर्ट में हाजिर होकर जवाब देना होगा।

पंजाब के कई प्राइवेट कॉलेजों ने एडवोकेट समीर सचदेव के जरिए अवमानना याचिका दाखिल करते हुए बताया था कि सरकार ने उन्हें हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी राज्य के 1855 कॉलेजों के 3 लाख 36 हजार 902 विद्यार्थियों को पोस्ट-मैट्रिक स्कॉलरशिप के पैसे जारी नहीं किए। केंद्र सरकार यह राशि पंजाब सरकार को जारी कर चुकी है। इस पर हाईकोर्ट के नोटिस के जवाब में बताया गया की वित्तीय वर्ष 2016-17, 2020-21 और 2021-22 के पैसे जारी कर दिए गए हैं लेकिन वित्तीय वर्ष 2017-18, 2018-19 और 2019-20 के पैसे जारी नहीं किए गए हैं। जबकि केंद्र सरकार इन तीन वित्तीय वर्ष की राशि पंजाब सरकार को जारी कर चुकी है। कोर्ट ने यह राशि जारी करने का आदेश दिया था बावजूद इसके यह राशि जारी नहीं की गई।

कोर्ट ने सरकार को लगाई जमकर फटकार
बुधवार को सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार ने बताया कि स्कॉलरशिप को लेकर अभी ऑडिट पूरा किया गया है। हाईकोर्ट ने सरकार की ओर से की जा रही देरी पर जमकर फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि 2017 से 2020 के बीच तीन साल की कुल स्कॉलरशिप राशि 1084 करोड़ रुपये बनती है। कोर्ट के आदेश के बावजूद यह कॉलेजों को जारी नहीं की गई है। ऐसे में अब पंजाब सरकार को हर हाल में 25 मई तक इस राशि का 40 प्रतिशत कॉलेजों को जारी करना होगा और यदि सरकार इसमें नाकाम रहती है तो मुख्य सचिव को खुद कोर्ट में हाजिर होकर जवाब दाखिल करना होगा।

यह था पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप घोटाला
केंद्र सरकार की मदद से पंजाब में अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों को पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप प्रदान की जाती है। 2017 में कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार के समय सामाजिक सुरक्षा मंत्री साधु सिंह धर्मसोत पर इस स्कॉलरशिप की राशि में धांधली के आरोप लगे थे। आरोप था कि 2019 में केंद्र सरकार से उक्त स्कॉलरशिप के लिए 303 करोड़ रुपये पंजाब को जारी किए। इनमें से 55.97 करोड़ रुपये के हिसाब-किताब की गड़बड़ी पाई गई।

इसकी जांच करने पर पता चला कि 39 करोड़ रुपये ऐसे इंस्टीट्यूट को दे दिए गए, जो सिर्फ कागजों में थे। इससे 9 लाख 5 हजार 340 विद्यार्थी छात्रवृत्ति से वंचित रह गए। यही नहीं, जिन कॉलेज-यूनिवर्सिटी से 8 करोड़ रुपये की वसूली की जानी थी, उन्हें 16.91 करोड़ की राशि और जारी कर दी गई। पंजाब में आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार बनने के बाद इस मामले की जांच की गई तो गत फरवरी माह में सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता विभाग और वित्त विभाग से जुड़े कुल छह अफसरों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया।

बर्खास्त अधिकारियों में एक उपनिदेशक, एक डिप्टी कंट्रोलर, सेक्शन ऑफिसर, सुपरिंटेंडेंट और दो वरिष्ठ सहायक शामिल थे। इस धांधली में मुख्य आरोपी तत्कालीन कैबिनेट मंत्री साधु सिंह धर्मसोत इस समय वन विभाग में भ्रष्टाचार के मामले को लेकर जेल में बंद हैं। स्कॉलरशिप घोटाले के मामले में फिलहाल उन पर कार्रवाई नहीं हुई है।