Skandmata

शारदीय नवरात्र का आज पांचवा दिन है। पांचवे दिन दुर्गा जी के पांचवे स्वरुप स्कन्दमाता की पूजा की जाती है। स्कन्दमाता बच्चों की रक्षा करती हैं। स्कंदमाता बच्चों की शिक्षा और पढ़ाई को आगे बढ़ाती हैं। स्कन्दमाता वो दैवीय शक्ति हैं, जो व्यवहारिक ज्ञान को सामने लाती हैं।

स्कंदमाता ज्ञान को कर्म में बदलती हैं। इसलिए इनकी पूजा करने वाले लोगों को जीवन में सफलता हासिल होती है। मां दुर्गा की पांचवी स्वरूप स्कन्दमाता की खास पूजा ऐसे करें…

संतान की याददाश्त तेज करने के लिए…
गणेश जी के भाई कार्तिकेय की माता हैं मां स्कन्दमाता। माता की गोद में कार्तिकेय बैठे हुए हैं। ऐसी मान्यता है कि कार्तिकेय की याददाश्त बहुत तेज थी। इसलिए इनके पूजन से आपके बच्चों की याददाश्त तेज हो जाएगी। ऐसे करें पूजन…

– माता को बेलपत्र की माला चढ़ाएं।

– माता और कार्तिकेय को शहद-बादाम चढ़ाएं।

– घी का दीपक गूगल धुप जलाएं।

खास भोग-
माता को आटे, घी और गुड़वाला हलवा चढ़ाकर बांटें।

मां सरस्वती की भी करें पूजा-
अश्विनी मास शुक्ल पक्ष की पंचमी है। नवरात्र में यह मां सरस्वती जी की पूजा का भी दिन होता है। ब्रह्मा जी के कमंडल का जल छिड़कने से मां सरस्वती प्रकट हुई थीं।

नवरात्र की पंचमी को मां सरस्वती की पूजा करने से विद्या का वरदान मिलता है। मां सरस्वती को गुलाबी चुन्नी, गुलाब की माला, सेब, बादाम और नारियल चढ़ाएं। अपनी किताब कॉपी मां के सामने रखें और इस मन्त्र का जाप करें- ॐ ऐं नमः

मां सरस्वती को प्रसन्न करने के उपाय-
सुबह स्नान करके सफेद वस्त्र पहनें। चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं। मां सरस्वती के चित्र को थाली के ऊपर स्थापित करें। धूप-दीप जलाएं, दूध, दही, घी, शहद, शक्कर मिला कर पंचामृत बनाएं।

– नारियल को लाल कपड़े में लपेट कर रखे।

– सफेद चन्दन गुलाबी और पीले फूल, केला और लड्डू चढ़ाएं।

– दिलचस्प बात ये है कि गेंदे के पत्तों का रस घाव पर लगाएं घाव सुखकर ठीक हो जाएगा।

मां सरस्वती की पूजा विधि-
सबसे पहले गणेशजी की पूजा करें। कम्बल का आसान बना कर बैठें। मां सरस्वती के सामने पांच नई कलम, पांच नई कॉपियां और कोर्स की किताबें रखें। जो कलाकार हैं, वह अपनी पेंटिंग सामग्री, सितार, बांसुरी खेलने की चीजें भी रख दें।