नगर निकाय चुनाव के पहले चरण में बृहस्पतिवार को दस नगर निगमों में मतदान होगा। भाजपा के सामने 2017 का रिकॉर्ड बरकरार रखते हुए इन सभी पर कब्जा बरकरार रखने की चुनौती है। वहीं, समाजवादी पार्टी, बसपा और कांग्रेस के सामने अस्तित्व बचाने की चुनौती है। नगर निकाय चुनाव को लोकसभा चुनाव का पूर्वाभ्यास माना जा रहा है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि निकाय चुनाव के नतीजों का असर लोकसभा चुनाव तक रहेगा। निकाय चुनाव में अधिकतर जगह भाजपा और सपा के बीच सीधा मुकाबला है जबकि कहीं-कहीं बसपा और कांग्रेस के प्रत्याशी त्रिकोणीय संघर्ष बना रहे हैं।

2017 निकाय चुनाव में 16 नगर निगम में से अलीगढ़ और मेरठ नगर निगम को छोड़कर शेष सभी 14 नगर निगम में भाजपा ने जीत दर्ज की थी। इस बार निकाय चुनाव में शाहजहांपुर नगर निगम में पहली बार चुनाव हो रहा है।

पहले चरण के चुनाव में 4 मई को सहारनपुर, मुरादाबाद, आगरा, झांसी, प्रयागराज, लखनऊ, गोरखपुर, वाराणसी, मथुरा-वृंदावन और फिरोजाबाद नगर निगम में चुनाव होना है। भाजपा ने मुरादाबाद में निवर्तमान महापौर विनोद अग्रवाल को फिर प्रत्याशी बनाया है जबकि शेष नौ जिलों में नए चेहरों को मौका दिया है।

भाजपा ने झोंकी ताकत

भाजपा सरकार और संगठन ने भी पूरी ताकत झोंकी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 24 अप्रैल से 2 मई तक 21 जिलों का दौरा किया है। पहले चरण के सभी दस नगर निगमों में चुनावी सभाएं की है। लखनऊ, गोरखपुर और वाराणसी में सीएम ने दो से तीन रैलियां की हैं। उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक ने भी अधिकतर जिलों में चुनावी दौरा कर पार्टी प्रत्याशियों के समर्थन में मत व समर्थन मांगा है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने भी प्रतिदिन दो से तीन जिलों का चुनावी दौरा किया।

दूसरे दलों में सेंध भी लगाई

भाजपा ने निकाय चुनाव में जीत के लिए सपा, कांग्रेस और बसपा के नेताओं को पार्टी में शामिल कराने का सिलसिला भी शुरू किया। प्रयागराज में विधानसभा चुनाव में सपा प्रत्याशी रहे रहीस चंद्र शुक्ला को भाजपा में शामिल कराया गया। वहीं लखनऊ में कांग्रेस के दोनों अध्यक्ष के साथ अधिकांश कांग्रेसी नेताओं के हाथ में भी कमल थमाया। सपा के पूर्व प्रदेश सचिव मुन्ना त्रिपाठी, फर्रुखाबाद में सपा के दिग्गज नेता नरेंद्र सिंह यादव, उनकी बेटी जिला पंचायत अध्यक्ष मोनिका यादव सहित अन्य नेताओं को भी भाजपा मे शामिल कराया गया। विभिन्न जिलों में जिला स्तर पर भी विपक्षी दलों के नेताओं को भाजपा में शामिल कराया जा रहा है।

अंतिम दौर में निकले अखिलेश

2017 में सपा को एक भी नगर निगम में जीत नहीं मिली थी। सपा के लिए नगर निगम में अस्तित्व बचाने का मौका है। सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पहले चरण के अंतिम दौर में चुनाव प्रचार में शामिल हुए। अखिलेश ने गोरखपुर, लखनऊ और सहारनपुर नगर निगम में सपा प्रत्याशी के समर्थन में मेट्रो यात्रा, रोड शो और सभा की। सपा के अधिकतर प्रत्याशी खुद के बूते ही चुनाव लड़ रहे हैं। हालांकि, कुछ सीटों पर प्रदेश पदाधिकारी प्रचार पर गए हैं।

मायावती ने बनाई प्रचार से दूरी

बसपा सुप्रीमो मायावती ने चुनाव प्रचार से दूरी बनाए रखी है। मायावती ने पहले चरण में सभी 10 नगर निगम में प्रत्याशी उतारे हैं। लेकिन किसी भी प्रत्याशी के समर्थन में वह चुनावी सभा करने नहीं गई है। उनके भतीजे आकाश भी प्रचार पर नहीं निकले हैं। बसपा के प्रत्याशी मंडल समन्वयकों के समन्वय से ही चुनाव लड़ रहे हैं।