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भोपाल : मध्य प्रदेश समेत देश के 7 राज्यों में राष्ट्रीय किसान महासंघ के 130 संगठनों ने विरोध प्रदर्शन और हड़ताल का ऐलान किया है। एमपी के मंदसौर में आंदोलन शुरू करने से पहले किसान मंदिर पहुंचे और भगवान का दूध से अभिषेक किया। हालांकि प्रदेश में किसान आंदोलन को लेकर सरकार ने पुख्ता प्रबंध पहले से ही कर लिए थे।

दरअसल, किसान यूनियनों ने अपनी मांगों को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ 10 दिवसीय किसान आंदोलन का आह्वान किया था, साथ ही मध्य प्रदेश के मंदसौर में किसानों ने सब्जियों और दूध को बाहर शहर न भेजने का ऐलान किया था। 55 साल की उम्र से ज्यादा के किसानों को 7वें वेतन आयोग के मुताबिक पेंशन (करीब 18 हजार रुपये प्रति माह) देने की मांग को लेकर मध्य प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली और महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में किसान संगठनों के एक धड़े ने गांव बंद का ऐलान किया है। इसी के साथ संपूर्ण कर्ज़माफी, किसानों को लागत का डेढ़ गुना समर्थन मूल्य, फल और सब्जियों का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करने की मांग की जा रही है।

मप्र के मंदसौर में पिछले साल छह जून को हुए किसान आंदोलन में नीमच मंदसौर जिले के 6 किसान मारे गए थे, जिसके विरोध में किसान संगठन ने 10 दिन का आंदोलन का ऐलान किया था। किसानों के आंदोलन को कांग्रेस भी अपना हथियार बना रही है, यहीं कारण है कि किसान आंदोलन को आगामी छह जून को एक साल पूरा हो जाएगा और इसकी बरसी मनाने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी पहुंचेंगे।

वहीं प्रदेश में किसान आंदोलन पर हो रही राजनीति को देखते हुए राज्य सरकार ने सभी संबंधित विभागों को सतर्क रहने के आदेश जारी कर दिए थे। कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए चिन्हित 35 जिलों को 10 हजार लाठियों के साथ हेलमेट, चेस्टगार्ड और 100 चार पहिया पुलिस वाहन दिए गए हैं। इंदौर, राजगढ़ में 8-8, मुरैना में 7, भोपाल, दतिया में 6-6, शिवपुरी, गुना, सतना में 5-5 गाड़ियां दी गईं। एसएएफ की 89 कंपनियां, 5000 नव आरक्षकों के साथ 15 हजार अतिरिक्त जवान तैनात किए गए हैं तो स्थानीय स्तर पर थानों और पुलिस लाइन के फोर्स ने मोर्चा संभाला है। इंटेलिजेंस और लोकल पुलिस की किसान नेताओं पर नजर है। किसान नेताओं की जिलों में नजर रखी जा रही है। इसके अलावा आंदोलन के स्थिति के अनुरूप इंटरनेट सेवाओं पर पाबंदी लगा दी गई है।

आंदोलन भले ही आज शुरू हुआ हो लेकिन 3 दिन के बाद किसान आंदोलन में हिंसा होने का इंटेलिजेंस को इनपुट मिला है। राहुल गांधी के साथ हार्दिक पटेल भी 6 जून को मंदसौर में रहेंगे। इंटेलिजेंस आईजी ने कहा कि जैसे-जैसे आंदोलन आगे बढ़ता है वैसे-वैसे स्थितियां बदलेंगी। प्रदेश में किसान आंदोलन को लेकर 11 किसान संगठन को चिन्हित किया गया है। सभी संगठनों ने पुलिस से शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन करने की बात कही है।

हालांकि उज्जैन संभाग के सभी जिलों को संवेदनशील माना गया है। वहीं इंदौर में आलीराजपुर, झाबुआ और बड़वानी जैसे जिलों को छोड़कर दूसरे जिलों में आंदोलन के तहत किसानों की सक्रियता रहेगी। इस बार भोपाल और इसके आसपास के होशंगाबाद, हरदा, राजगढ़, रायसेन, सीहोर संवेदनशील जिले माने जा रहे हैं। वहीं महाकौशल में जबलपुर, नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा, बालाघाट का कुछ हिस्सा आंदोलन से प्रभावित रहेगा। ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में भी श्योपुर और मुरैना को संवेदनशील माना गया है।

बहरहाल किसान आंदोलन का आगाज हो चुका है। शिवराज सरकार किसानों के इस आंदोलन को हर हाल में कांट्रोल में रखना चाहती है। अगर आंदोलन के दौरान किसान उग्र हो गए तो आने वाले विस और लोस चुनावों में बीजेपी को खमियाजा भुगतना पड़ सकता है।