अमिताभ बच्चन

अभिनेता विनोद खन्ना की मौत पर अमिताभ बच्चन ने ब्लॉग में लिखा है। उन्होंने विनोद खन्ना से उनकी पहली मुलाकात से लेकर कई ऐसे किस्से बताए हैं जोकि खास दिलचस्प हैं। उन्होंने अपना ये ब्लॉग अंग्रेजी में लिखा है जिसे हम आपको हिंदी में ट्रांसलेट करके बता रहे हैं।

अमिताभ बच्चन ने लिखा है कि ‘ मैने सबसे पहले उन्हें बांद्रा में सुनील दत्त के अजंता आर्ट्स वाले ऑफिस में देखा था, जहां मैं काम की तलाश में गया हुआ था। गठीला बदन और जेंटलमैन वाली चाल में गुजरते हुए उन्होंने मेरी तरफ देखा और मुसकुराए। ये साल 1969 की बात है। उस वक्त वो अजंता आर्ट्स फिल्म्स द्वारा बनाई जा रही फिल्म ‘मन का मीत’ में काम कर रहे थे और मैं काम की तलाश में भटक रहा था।

विनोद खन्ना से दूसरी मुलाकात भी फिल्म के सैट पर ही हुई थी। ये फिल्म थी ‘रेशमा और शेरा’। हम दोनों ही इस फिल्म में काम कर रहे थे और हम पूरी यूनिट के साथ राजस्थान के जैसलमेर में शूटिंग के लिए पहुंचे थे। उस वक्त शहर इतने बसे हुए नहीं थे, तो हम एक ही टैंट में थापा साहब, अली राजा, सुखदेव और बहुत सारे लोग एक साथ रहते थे। इस बीच अमरीश पुरी भी हमारे साथ रहने आ गए थे और हम महीनों तक इसी तरह शूटिंग करते रहे। एक दूसरे के साथ हंसते, काम करते, एक दूसरे की देखभाल करते थे।’

अमिताभ आगे लिखते हैं कि ‘शूट से लौटने के बाद से विनोद खन्ना उनसे लगातार संपर्क में रहे। वो बहुत बड़े स्टार थे मगर हमेशा बहुत विनम्र, वो मुझे अपनी नई नवेली वोल्कसवेगन कार में घुमाने के लिए ले गए। वो ही मुझे पहली बार डिस्को क्लब में ले गए जहां के वो सदस्य थे। उनकी गीतांजलि से शादी हुई, जिसे वो गिटली कहते थे। फिर उनके दो बच्चे हुए राहुल और अक्षय।’

‘हमने साथ में एक फिल्म की ‘रेशमा और शेरा’ उसकी शूटिंग खत्म होने के तुरंत बाद उनके पिता का देहांत हो गया था। हमने कई ऐतिहासिक फिल्में साथ-साथ की हैं। उनका साथ हमेशा बहुत प्यारा रहा है। हम मेकप रूम में घंटों साथ-साथ रहते, एक दूसरे के साथ अपना लंच शेयर करते और खाली समय में हर मुद्दे पर बात करते थे।’

अमिताभ बच्चन एक वाक्ये का जिक्र करते हुए बताते हैं कि ‘एक बार शूटिंग के दौरान मुझे ग्लास को गोली मारनी थी, जो उनकी तरफ थी लेकिन गलती से वो गोली उनकी ठुड्डी पर लग गई। उस घटना का अफसोस मेरे साथ है और वो ऐसी घटना है, जिसे मैं भूल ही नहीं सकता। उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया जहां उन्हें टांके लगाए गए। मैं उनके साथ उनके घर तक गया ताकि उनसे मांफी मांग सकूं।